कुरूक्षेत्र | हरियाणवी संस्कृति और सभ्यता के महाकुंभ रत्नावली का 28 अक्टूबर से धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में आगाज हो चुका है. कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय में होने वाले इस 4 दिवसीय रत्नावली महाकुंभ में हरियाणवी संस्कृति के अलावा देशी व्यंजनों का स्वाद भी चखने को मिलेगा. देश और विदेशों में हरियाणा की कला को दिखाने के लिए लूर नृत्य से रत्नावली का शुभारंभ हो गया है.
हरियाणवी संस्कृति की विदेशी धरती पर धूम
देश- विदेश में हरियाणवी संस्कृति को आज भी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने रत्नावली के माध्यम से जिंदा रखा हुआ है. देश की A+ ग्रेड यूनिवर्सिटी में पहली बार रत्नावली महोत्सव में किसी नेता को नहीं बुलाया गया, बल्कि हरियाणा की संस्कृति को विदेशों में पहुंचाने वाले कलाकार के हाथों से रत्नावली संस्कृति का शुभारंभ हुआ है. नए दौर में विदेश से भी एक दल कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी पहुंचेगा जो खास तौर से रत्नावली महोत्सव में शिरकत करेगा.
देशी जायके का स्वाद
युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने बताया कि इस बार रत्नावली समारोह में विशेष रूप से हरियाणवी खान-पान दिखाई देगा. इसके लिए युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग गुड़ का हलवा, गुड़ का चूरमा, बेसन की पंजीरी, गुड़ की चाय व गन्ने के रस की खीर का स्टॉल लगाएगा.
250 छात्रों की टीम संभाल रही समारोह की व्यवस्था
इसके अलावा, धरोहर हरियाणा संग्रहालय द्वारा समारोह में घी-कसार, बाकली, खीर, जलेबी, हलवा व खिचड़ी का स्टॉल लगाया गया है. इसी प्रकार पर्यटन विभाग की तरफ से समारोह में चूरमा, बाजरे की रोटी व सरसों के साग का स्टॉल लगाया गया है.
उन्होंने बताया कि इस बार सभी विभाग मिलकर हरियाणवी व्यंजनों के स्टॉल लगा रहे हैं, ताकि प्रदेशभर से आने वाले युवा कलाकार व दर्शक हरियाणवी व्यंजनों से रूबरू हो सकें और उनका स्वाद चख सकें. हरियाणवी व्यंजन जहां हमारी लोक संस्कृति के प्रतीक हैं, वहीं ये सात्विक और पौष्टिक हैं. सबसे खास बात है कि युवा अपने प्रदेश के व्यंजनों को जान सकेंगे. 250 छात्रों की रत्नावली टीम रत्नावली समारोह की व्यवस्था का जिम्मा संभाल रही हैं.
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