हरियाणा में शिक्षकों पर टूटा मुसीबतों का पहाड़, शेड्यूल जारी होने के बाद भी अटके ट्रांसफर

चंडीगढ़ | हरियाणा में ट्रांसफर की बाट जोह रहे टीचर्स की उम्मीदों को फिर झटका लगा है. शेड्यूल जारी होने के बावजूद भी करीब 50 हजार टीचरों के ट्रांसफर अटक गए हैं. इस पूरे घटनाक्रम में सबसे खास बात ये है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास ट्रांसफर ड्राइव अटकने का कोई कारण नहीं बताया जा रहा है.

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वहीं, लंबे समय बाद ट्रांसफर को लेकर जगी उम्मीदों के टूटने से टीचरों पर मुश्किलों का पहाड़ खड़ा हो गया हैं क्योंकि बड़ी संख्या में JBT शिक्षकों ने स्थायी जिले अलाॅट होने के बाद पुराने जिलों से अपने किराये के मकान छोड़ दिए हैं या फिर अपने खुद के मकान बेचकर अपने मूल जिले में ले लिए हैं.

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बता दें कि शिक्षा विभाग की ओर से जेबीटी के इंटर डिस्ट्रिक्ट ट्रांसफर को लेकर शेड्यूल जारी किया गया था. इसके तहत 2004, 2008 और 2011 के जेबीटी के इंटर डिस्ट्रिक्ट ट्रांसफर हुए थे. इसके बाद 2017 बैच के जेबीटी को स्थायी जिले देने के लिए आवंटन किया गया.

वहीं, 27 अक्टूबर से सभी वर्ग के शिक्षकों के लिए ऑनलाइन ट्रांसफर प्रक्रिया को लेकर ड्राइव शुरू होनी थी, इनमें PGT, सीएंडवी, JBT, हेडमास्टर और प्रिंसिपल के ट्रांसफर होने हैं. इनकी कुल संख्या का आंकड़ा 50 हजार के आसपास है.

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कहीं चुनावी साल तो नहीं बना रूकावट

इस मामले को लेकर शिक्षा विभाग के निदेशक अंशज सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल के साथ-साथ शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर तक कोई भी टिप्पणी करने से गुरेज कर रहे हैं. विभागीय सूत्रों का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में टीचरों की ट्रांसफर बीच में रोकने की वजह 2024 का चुनावी साल हो सकता है.

विरोधाभास की अटकलें

अटकलें लगाई जा रही है कि पिछली बार ट्रांसफर ड्राइव में काफी खामियां सामने आने पर जमकर विरोध हुआ था. इसके चलते कुछ जगहों पर टीचर सड़कों पर उतर आए थे तो वहीं जिन स्कूलों में कोई शिक्षक नहीं पहुंचा था वहां ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.

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इस बारे में हसला के स्टेट प्रेजिडेंट सतपाल संधू का कहना है कि बीच में ट्रांसफर रोकना सरकार गलत फैसला है और इस संबंध में शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर शिक्षकों के लिए न्याय की गुहार लगाई जाएगी.

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