‘किसान आंदोलन’ के ख़िलाफ़ हरियाणा में भाजपा का मंथन शिविर

गुरुग्राम । किसान आंदोलन मामले में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा जनता के बीच जाने और उन्हें बिल समझाने के निर्देशों के पश्चात हरियाणा के बीजेपी नेतृत्व में जनता के बीच जाने के संबंध में असमंजस की स्थिति पैदा हो रही है. मंथन बैठक में भाग लेने वाले सांसदों से लेकर विधायकों और मंत्रियों के चेहरे उड़े हुए थे. इससे एक बात तो साफ है कि जनता के बीच कैसे जाए. इस संबंध में निष्कर्ष नहीं निकल रहा है.

मंथन में विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा गया कि

“झूठ बोलो, बार बार बोलो,
भ्रम फैला दो, बार बार फैला दो,
जनता को बहकाओ, बार बार बहकाओ.
काठ की हांडी बार बार नही चढ़ती,
जनता साहिब लोगों की असलियत जान चुकी है.”

दूसरी ओर, शिक्षा मंत्री कवर पाल गुर्जर ने किसान आंदोलन के संबंध में एक बार फिर से किसान आंदोलन को राजनीति से प्रेरित आंदोलन बताया है. शिक्षा मंत्री कवर पाल गुर्जर के अनुसार तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करने का प्रश्न ही नहीं उठता, क्योंकि यह तीनों नए कृषि कानून किसानों के हित में है.

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इसके साथ ही बढ़ते हुए रसोई गैस और पेट्रोल डीजल के दामों को लेकर किए गए प्रश्नों के उत्तर में मंत्री जी मौजूदा भाजपा सरकार और कांग्रेस के बीच के अंतर को बताने लगे. शिक्षा मंत्री कवर पाल गुर्जर के अनुसार कांग्रेस सरकार के समय में डीजल और पेट्रोल के रेट इससे भी बहुत अधिक थे, परंतु वर्तमान सरकार के दाम अभी भी कंट्रोल में है.

महंगाई के मुद्दे पर भी मंत्री जी ने गोलमोल जवाब दिया और मंथन बैठक का क्या निष्कर्ष निकल कर आया, इसको लेकर मंत्री जी चुप रहे. परंतु मंथन बैठक में बैठे सभी जिला अध्यक्षों, सारे मंत्रियों और सांसदों के चेहरों से लग रहा था कि किसान आंदोलन के संबंध में हरियाणा सरकार के मंत्रियों के साथ-साथ, विधायकों और जिला अध्यक्ष को भी जनता व किसानों के कोप का भाजन बनना पड़ रहा है. मंथन बैठक में किसानों के मुद्दे को कृषि मंत्री द्वारा उठाना चाहिए था, परंतु इस मुद्दे को शिक्षा मंत्री बयान कर रहे थे. इससे सरकार पर किसान आंदोलन को लेकर भारी दबाव को महसूस किया जा सकता है.

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