फतेहाबाद | हरियाणा में धान उत्पादक किसानों के लिए एक अच्छी सामने आ रही है. प्रदेश की गठबंधन सरकार ने धान की सरकारी खरीद के लिए 15 नवंबर तक का दिन निर्धारित किया था लेकिन अभी भी करीब 30% धान की फसल खेतों में ही खड़ी हैं. इसकी वजह जुलाई महीने में पहाड़ी क्षेत्रों में हुई मूसलाधार बारिश हैं जिससे प्रदेश के कई जिलों अंबाला, कुरूक्षेत्र, कैथल, फतेहाबाद आदि में बाढ़ आने से लाखों एकड़ धान की फसल डूब गई थी.
इन जिलों में किसानों ने एक महीने बाद फिर से धान की रोपाई की थी. ऐसे में बाढ़ग्रस्त इलाकों में पछेती धान की बिजाई गई फसल की अभी कटाई नहीं हुई है. सरकार ने कृषि विभाग से रिपोर्ट मांगी है कि धान की यह फसल कब तक मंडियों में पहुंच जाएगी. इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार धान खरीद की तारीख को आगे बढ़ाने का फैसला ले सकती है.
बता दें कि हरियाणा में 15 जून से धान की रोपाई शुरू हुई थी लेकिन किसान धान रोपाई करके हटे ही थे कि पहाड़ों पर हुई मूसलाधार बारिश से कई जिलों में आई बाढ़ ने सबकुछ तहस- नहस कर दिया था. एक महीने बाद बाढ़ का पानी कम हुआ तो किसानों ने फिर से धान की रोपाई की थी. ऐसे में पछेती धान की फसल को अभी मंडियों में आने में थोड़ा समय और लगेगा.
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बाढ़ग्रस्त वाले इलाकों से धान की फसल को मंडियों में पहुंचने में अभी 15 से 20 दिन और लगेंगे. ऐसे में तय हैं कि सरकार धान की सरकारी खरीद की तारीख को 15 नवंबर से आगे बढ़ा सकती है. वहीं, 15 नवंबर से पहले दिवाली का त्योहार भी आ रहा है तो मंडियों में 11- 13 नवंबर तक छुट्टी रहेगी.
यानि इन दिनों में धान की खरीद नहीं होगी. मंडियों में आढ़तियों की तरफ से भी सूचना दी गई है कि दिवाली पर खरीद नहीं होगी तो किसान मंडियों में अपनी फसल लेकर न पहुंचे. इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए धान की सरकारी खरीद की अंतिम तिथि बढ़ने के पूरे आसार जताए जा रहें हैं.
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