चंडीगढ़ | जैसे- जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, खट्टर सरकार अपने किए हुए वादों को पूरा करने में जुट चुकी है. दरअसल, हरियाणा सरकार जल्द ही प्रदेश के अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों का अधिग्रहण करेगी. सरकार ने कॉलेजों को सरकार के अधीन लेने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है.
प्रतिनिधिमंडल ने की थी मुलाकात
अपनी मांग पूरी कराने के लिए प्रतिनिधिमंडल में शामिल शिक्षक नेताओं ने मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण और मुख्यमंत्री के ओएसडी वीरेंद्र सिंह दहिया से मुलाकात की थी.
शिक्षा मंत्री ने दी ये जानकारी
वहीं, उच्च शिक्षा मंत्री पंडित मूलचंद शर्मा ने सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों के शिक्षण और गैर- शिक्षण संघों के प्रतिनिधिमंडल की बात सुनने के बाद सरकार के इस फैसले की जानकारी दी. राज्य में सरकारी सहायता प्राप्त महाविद्यालयों की संख्या 97 है और इनमें 2500 शिक्षण एवं गैर- शिक्षण कर्मचारी कार्यरत हैं.
95 फीसदी वेतन देती है सरकार
एडेड कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के प्रधान डॉ. विकास चाहर ने उच्च शिक्षा मंत्री पंडित मूलचंद शर्मा और राजेश खुल्लर को बताया कि इन ढाई हजार टीचिंग और नॉन टीचिंग कर्मचारियों को आज भी 95 फीसदी वेतन सरकार देती है. महाविद्यालयों की प्रबंध समिति द्वारा वेतन का मात्र पांच प्रतिशत ही प्रदान किया जाता है. हरियाणा सरकार ने पहले राज्य के सहायता प्राप्त स्कूलों को अपने अधीन ले लिया है. ऐसे में अनुदानित महाविद्यालयों को भी सरकार के अधीन लिया जाना चाहिए.
कई माह तक नहीं मिलता वेतन
अनुदानित महाविद्यालयों में कर्मचारियों को कई- कई माह तक वेतन नहीं मिलता है उनके पास कोई चिकित्सा सुविधा भी नहीं है. ये कर्मचारी अनुग्रह राशि के लाभ से वंचित हैं. उन्हें न तो ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है और न ही बढ़ा हुआ एचआरए दिया जाता है. नॉन टीचिंग एसोसिएशन के प्रधान बिजेंद्र कादियान ने मंत्री व मुख्य प्रधान सचिव को बताया कि सरकार के अधीन नहीं होने के कारण कर्मचारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
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