करनाल: किराए की सिलाई मशीन से शुरू किया था काम, आज कई महिलाओं को दे रही रोजगार

करनाल | अपना खुद का स्टार्टअप हमेशा से बेहतर विकल्प माना गया है. मगर हर किसी को बिजनेस शुरू करने का आईडिया नहीं होता है. ऐसे में लोग अपना स्टार्टअप नहीं कर पाते हैं. सरकार की तरफ से लोन भी मिलता है. मगर योजनाओं की जानकारी लोगों के पास नहीं होती है. आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताएंगे, जिसने खुद के पैर पर खड़ा होकर अपनी खुद की एक फैक्ट्री स्थापित कर ली है. जो अब लोगों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन गई है और महिलाओं को रोजगार भी दे रही है. आईए जानते हैं पूरी कहानी…

Silai Machine Karnal

किराये की चार सिलाई मशीनों से अपना काम शुरू करने वाली करनाल की ज्योति आज 14 मशीनों की मदद से अपने कारोबार को आगे बढ़ा रही है. वह न सिर्फ आत्मनिर्भर बनीं, बल्कि दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनना सिखाया. अपनी मेहनत के दम पर ज्योति आज लाखों रुपये की इनकम कर रही हैं.

कोरोना काल में कारोबार हुआ था बंद

ज्योति ने बताया कि उन्होंने 2019 में काम शुरू किया था, लेकिन 2020 में कोरोना के कारण कारोबार बंद हो गया. कोरोना काल दो साल तक चला. कोरोना काल खत्म हुआ तो काम-काज पटरी पर आ गया. काफी मुश्किलें आई. मौजूदा समय में अपने काम में इतनी महारत हासिल कर ली है कि बड़ी- बड़ी कंपनियां भी ज्योति को काम दे रही हैं.

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ज्योति बताती हैं कि आज वह 14 मशीनों की मदद से करीब 18 परिवारों की महिलाओं को रोजगार मुहैया करा रही हैं. 2025 तक वह अपनी मिनी फैक्ट्री में 28 मशीनें लगाकर और अधिकतम उत्पादन हासिल करेगी. अधिक से अधिक परिवार को वह रोजगार देना चाहती हैं.

खुद की प्रतिभा को पहचाना

हिसार के बनबोरी गांव की ज्योति की शादी साल 2014 में डिंगर माजरा के कर्मवीर सिंह से हुई थी. शुरू से ही हुनरमंद थी. पिता दर्जी थे. उन्होंने अपने पिता की मदद से सिलाई-कढ़ाई का काम भी सीखा. शादी के बाद वह अपने पैरों पर खड़ी होकर पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहती थी. वर्ष 2018 में वह हरियाणा ग्रामीण आजीविका मिशन के मनसा महिला समूह से जुड़ीं. जहां उसे लघु उद्योगों के बारे में पता चला. लोन कैसे लेना है और अपना कारोबार कैसे बढ़ाना है, इसकी भी जानकारी मिली.

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पति का ज्ञान आया काम

ज्योति के पति पहले कपड़े की दुकान चलाते थे, लेकिन अब एक स्कूल में टीचर हैं. पति को बाजार का भी ज्ञान था और कपड़ों का भी. ज्योति के पास हुनर तो था, लेकिन बाजार का कोई ज्ञान नहीं था. गारमेंट और कंपनियों से पति के रिश्ते अच्छा होने से काम मिलना आसान हो गया. जहां पहले ज्योति लोअर और टी-शर्ट का काम करती थी. वहीं, आज वह शर्ट, जींस, स्कूल यूनिफॉर्म और अन्य तरह के काम कर रही है. करीब 5 से 6 हजार सेट माल तैयार होता है. कारोबार अच्छा चल रहा है.

एक लाख का लिया था लोन

2019 में ज्योति को मिशन के माध्यम से एक लाख का लोन मिला. वह टी- शर्ट बनाने का काम करना चाहती थीं जिसके लिए विदेशी सिलाई मशीनों की आवश्यकता होती थी. चार मशीनें किराए पर ले आई. प्रत्येक मशीन का किराया 2 हजार रुपये प्रति माह था. ज्योति खुद भी काम करती थी और उसके साथ तीन महिलाएं भी जुड़ी थीं. ज्योति ने इन महिलाओं को प्रशिक्षित किया और काम शुरू किया. काम शुरू करने से पहले ज्योति ने खुद ट्रेनिंग ली थी. जैसे- जैसे काम बढ़ता गया, उसने अपनी मशीनें खरीदनी शुरू कर दीं.

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एक मशीन की ये है कीमत

सिलाई के लिए जिन मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है उनकी कीमत 30 हजार से 1.25 लाख रुपये के बीच होती है. ज्योति के लिए एक साथ इतनी महंगी मशीनें खरीदना आसान नहीं था. इसलिए, उसने एक समय में एक मशीन खरीदनी शुरू कर दी और किराए की मशीनों की संख्या कम करती गई. धीरे- धीरे मशीनों और प्रशिक्षण लेने वाली महिलाओं की संख्या भी बढ़ती गई. अब तक वह करीब 80 महिलाओं को प्रशिक्षित कर चुकी हैं. जिस भी महिला को काम की जरूरत थी या सेटअप के लिए किसी तरह की मदद की जरूरत थी, ज्योति ने उसे आगे बढ़ाया और नया मुकाब पाया.

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