करनाल | खेल- खिलाड़ी से लेकर उच्च कोटि की नस्ल के पशुपालन की बात करें या फिर खेती में विविधीकरण अपनाकर समृद्ध किसान बनने की पहचान हो, हरियाणा हर क्षेत्र में अपनी अलग छाप छोड़ रहा है. खेती के रण का जिक्र करें तो यहां के किसानों की उपज की डिमांड देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक पहुंच चुकी है. इस उपज की क्वालिटी इस कदर मशहूर है कि एक्सपोर्ट के बाद बहुत जल्द विदेशी ग्राहकों के बीच अपनी पैठ बना लेती है.
बासमती धान का जलवा
हरियाणा के करनाल जिले का तरावड़ी क्षेत्र बासमती धान की खेती के लिए प्रसिद्ध है. यहां के बासमती धान का जलवा लोगों के सिर चढ़कर बोलता है और देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इसकी अच्छी- खासी डिमांड है. यहां पर उगाएं गए बासमती धान को सुगंध बासमती के नाम से भी जाना जाता है. यहां पर बासमती धान की अधिक खेती होने के चलते ही करनाल को धान का कटोरा कहा जाता है.
इस क्षेत्र के किसानों ने बताया कि यहां से बासमती चावल का निर्यात यूरोप, अमेरिका, खाड़ी देशों में किया जाता है. बासमती धान की बहुत सी किस्में बाजार में उपलब्ध है लेकिन तरावड़ी बासमती का अलग ही क्रेज है. पकाते समय इसकी खुशबू पड़ोसियों तक को मोहित कर देती है. उन्होंने बताया कि तरावड़ी बासमती की अगेती और पछेती दोनों किस्मों की खेती होती है और एक एकड़ से करीब 15 क्विंटल तक पैदावार मिलती है.
भाव भी शिखर पर
किसानों का कहना है कि इस बार पिछले सालों की अपेक्षा ऊंचा भाव मिल रहा है. इस बार बासमती का भाव 7 हजार रूपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है. बासमती का इतना उंचा भाव आजतक नहीं मिला था. उंचा भाव मिलने की खुशी किसानों के चेहरों पर साफ नजर आ रही थी.
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