चंडीगढ़ । लंबे समय से कृषि कानूनों के खिलाफ चले आ रहे किसान आंदोलन की आंच अब हरियाणा सरकार तक भी पहुंचती नजर आ रही है. कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के बीच कांग्रेस हरियाणा की गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है. विधानसभा सत्र के पहले दिन कांग्रेस पार्टी काअविश्वास प्रस्ताव मनोहर सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ाने का काम करेगा.
भाजपा से ज्यादा इस अविश्वास प्रस्ताव का दबाव उसकी सरकार में सहयोगी पार्टी जजपा पर रहेगा. विधानसभा सत्र का बजट सत्र 5 मार्च से शुरू हो रहा है. हालांकि सत्र के पहले दिन कांग्रेस का यह प्रस्ताव मंजूर होगा या नहीं, इसका फैसला विधानसभा सभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता लेंगे.
कांग्रेस पार्टी का ये फैसला अगर मंजूर होता है तो सरकार में सहयोगी जजपा को अपना स्टैंड क्लीयर करना होगा. अगर जजपा सरकार का समर्थन करती है तो वह किसानों के साथ नहीं है .
यदि वह किसानों का समर्थन करती है तो इसके लिए भाजपा के खिलाफ जाना होगा जो उसके लिए आसान नहीं होगा.जजपा ने 2019 के विधानसभा सभा चुनावों में किसानों के नाम पर राजनीति की थी.इसका फायदा उन्हें वोटों के रूप में देखने को भी मिला था जहां जाट किसान मतदाताओं ने पार्टी का खुलकर समर्थन किया था.ऐसे में जजपा के लिए अपनी पार्टी के विधायकों को एकजुट रखना चुनौती होगी क्योंकि पार्टी के कई विधायक खुलेतौर पर इन बिलों के खिलाफ किसानों के समर्थन में है. अगर दुष्यंत चौटाला अपनी पार्टी का समर्थन भाजपा के लिए करते हैं तो आने वाले दिनों में जनता के बीच उनकी पार्टी की विश्वसनीयता कम होगी और उन्हें किसानों की नाराज़गी झेलनी पड़ेगी.
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि अगर जजपा सरकार से अपना समर्थन वापस लेती है तो इसका असर सरकार की स्थिरता पर पड़ेगा.
कई निर्दलीय विधायक पहले ही सरकार का साथ छोड़ चुके हैं, आने वाले समय में भाजपा के लिए सरकार बचाना मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में हम सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करेंगे. सरकार को कमजोर करने का प्रयास रहेगा जिससे यह सरकार खुद गिर जाएगी. प्रदेश में नए सिरे से विधानसभा सभा चुनाव होंगे व हम पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएंगे.
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