कर्मचारियों को पक्का करने में देरी होते देख हाई कोर्ट हुआ सख्त, सरकार को दिए नीति बनाने के आदेश

चंडीगढ़ | पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को एक नीति तैयार करने के लिए आर्डर दिए है. जिसके तहत, वर्षों से काम कर रहे कर्मचारियों को नियमित किया जा सके. हाई कोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति अमन चौधरी के आदेश पर हरियाणा के महाधिवक्ता खंडपीठ के सामने पेश हुए. खंडपीठ ने महाधिवक्ता को बताया कि संविदा कर्मचारी अपने जीवन के 20 साल देने के बाद मर जाते हैं लेकिन पदों की कमी की वजह से उन्हें रेगुलर नहीं किया जाता है. खंडपीठ ने सरकार को नियमित करने की नीति बनाने का आदेश जारी किया है.HIGH COURT

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खंडपीठ ने 2007 से राज्य में कढ़ाई और सुई कार्य प्रशिक्षक के रूप में सेवा कर रही कुछ महिला संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए है. इस बीच राज्य में लम्बे वक़्त तक सेवा देने वाले कर्मचारियों की सेवाओं को रेगुलर करने के लिए एक काडर बनाने की राज्य सरकार की योजना पेश करते हुए इस मुद्दे पर राज्य की नीति के बारे में एक पत्र 23 नवंबर को हरियाणा द्वारा उच्च न्यायालय के सामने रखा गया था.

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राज्य की नीति के मुताबिक, जहां भी प्रशासनिक विभाग बोर्ड और निगम व स्वायत्त इकाइयों नियमितीकरण नीतियों के तहत व्यक्तियों को नियमित कर रही हैं, प्रशासनिक विभाग, वित्त विभाग की मंजूरी के साथ, ऐसे कर्मचारियों को समायोजित करने के लिए कुछ पदों का सृजन कर सकता है.

सरकार को उचित नीति बनाने के लिए दिया गया आदेश

नीति में आगे कहा गया कि वित्त विभाग को परामर्श दिया गया है कि जब भी कोई विभाग, बोर्ड, निगम, स्वायत्त इकाई नियमितीकरण नीतियों के तहत नियमित होने के लिए प्रस्तावित किसी भी कर्मचारी के लिए पद बनाने के लिए मामला पेश करता है तो पदों के निर्माण के लिए मंजूरी दें. यही नीति जून 1997 और नवंबर 1999 की नियमितीकरण नीतियों के बारे में भी लागू होगी. न्यायालय ने सभी तथ्यों को देखने के बाद बुधवार कों सरकार को उचित रेगुलर करने की नीति बनाने का आदेश जारी किया.

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