चंडीगढ़: पिता साइकिल पर बेचते थे नमकीन, 7 साल की उम्र में बेटे ने शुरू किया गाना; आज विदेशों तक गूँज

चंडीगढ़ | खाटू श्याम जी और सालासर बालाजी के भजन गाने वाले कन्हैया मित्तल को कौन नहीं जानता. कन्हैया मित्तल (Kanhiya Mittal) चंडीगढ़ के रहने वाले हैं और यहीं से संघर्ष करके उन्होंने आज अपना मुकाम हासिल किया है. आज देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इनकी काफी मांग है. कन्हैया मित्तल बचपन से ही गायन के क्षेत्र में सक्रिय हो गये थे. आईए जानते हैं कि मित्तल की जीवनी के बारे में…

Kanhaiya Mittal

गरीबी में बीता दिन

कन्हैया मित्तल ने बताया कि उनका बचपन का जीवन बेहद गरीबी में बीता. उनके पिता साइकिल पर नमकीन बेचते थे और पंचकूला से पिंजौर कालका तक साइकिल पर नमकीन बेचकर आते थे. उन्होंने खुद टोकरी में सामान रखकर बेचने का काम किया है. हम लोग हर कुछ दिनों में अपने पिता से मिलते थे क्योंकि जब वह बच्चे थे और सुबह उठते थे तो उनके पिता साइकिल पर सामान बेचने जाते थे और जब वह सामान बेचकर वापस आते थे तो हम सो जाते थे. इस प्रकार उनका जीवन बड़े संघर्ष में व्यतीत हुआ.

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प्रोफेशनल सिंगिंग की 2015 में ही शुरुआत

कन्हैया ने महज 7 साल की उम्र में भजन गाना शुरू कर दिया था, उन्होंने पहला भजन अपने घर के पास एक मंदिर में हो जगराता में गाया था. ‘कभी राम बनकर आओ, कभी श्याम बनकर आओ, प्रभुजी आओ’, यह उनका पहला भजन था. इसके बाद, उन्होंने लगातार 15 वर्षों तक बिना किसी शुल्क के भजन गाए.

कन्हैया मित्तल ने बताया कि 2015 के बाद ही उन्होंने फीस लेकर गाना शुरू कर दिया क्योंकि परिवार की जरूरतों के साथ- साथ जीवनयापन का भी ध्यान रखना था. इसके बाद, उन्होंने लगातार श्याम बाबा और सालासर बालाजी के भजन खुद लिखे और उन्हें मंचों पर गाया. उनके कई भजन हिट हुए और लोगों ने उन्हें सराहा. कन्हैया मित्तल ने बताया कि जब वह संघर्ष कर रहे थे और बिना पैसे के जगराते में गाते थे तो कई बार लोग उन्हें बुलाते भी नहीं थे और भजन भी गवाते थे, जिससे बहुत दुख होता था लेकिन वह अपने आंसू खुद ही पी जाते थे.

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यूपी चुनाव में आया नया मोड़

कन्हैया मित्तल ने बताया कि यूपी चुनाव से पहले उन्होंने एक भजन बनाया था जिसके बोल थे ‘जो राम को लाएंगे हम उनको लाएंगे यूपी में फिर से हम भगवा लहराएंगे’. यह गाना उनके देश- दुनिया में काफी मशहूर हुआ. ये गाना इतना हिट हुआ कि महज 7 दिनों में ही इस गाने को 30 मिलियन से ज्यादा लोगों ने देखा और सुना. इस गाने के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले और सम्मानित भी किया गया. ऐसा भी कहा जा सकता है कि इस गाने ने उनकी जिंदगी बदल दी. हालांकि, ये गाना किसी पार्टी के लिए नहीं था बल्कि सनातन धर्म से जुड़े राम मंदिर के लिए लिखा गया गाना था.

विवादों से भी रहा नाता

कन्हैया मित्तल ने दूसरे धर्म के गायकों से भजन- कीर्तन न करवाने को कहा था तो इसे लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. इस पर कन्हैया मित्तल कहते हैं कि मैं सनातन हूं. मैं धर्म के लिए काम कर रहा हूं. मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने इसे विवाद बना दिया और उन्हें बदनाम करने की कोशिश की है और कुछ नहीं.

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IPS बनना था सपना

उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन चंडीगढ़ के ही सेक्टर 40 कॉलेज से की. मित्तल ने बताया कि आम बच्चों की तरह उन्होंने भी पढ़ाई की और 10वीं कक्षा अच्छे अंकों से पास की. उनका सपना था कि वह आईपीएस बनकर देश और राज्य की सेवा करें लेकिन जब उन्होंने भजन गाना शुरू किया तो लोगों ने उनकी खूब सराहना की और बाद में उन्हें लगा कि इस जुनून को प्रोफेशन बनाना चाहिए और यह सफर आगे बढ़ता गया.

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