हरियाणा में अब छात्र बनायेंगे पराली से बायो इथेनॉल, केंद्र सरकार ने दी सब्सिडी; ऐसे किया जाएगा शोध

महेंद्रगढ़ | हरियाणा में अब छात्र पराली से बायो इथेनॉल बनाना सीख सकेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय महेंद्रगढ़ (Central University Mahendragarh) के पर्यावरण अध्ययन विभाग में बायो इथेनॉल को लेकर प्रक्रिया चल रही है. छात्र अब पराली से बायो इथेनॉल बनाना सीख सकेंगे. केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से हकेंवी को 1.41 करोड़ रुपये का अनुदान जारी किया गया है.

Laboratory

20 प्रतिशत बायो इथेनॉल जोड़ने की तैयारी

विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (डीएसटी- एफआईएसटी) के तहत अनुदान प्राप्त हुआ है. इसके माध्यम से अनुसंधान परियोजना के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे में सुधार पर शोध किया जाएगा. यह शोध कार्य वर्ष 2024 से शुरू होगा. इससे किसानों को पराली से आर्थिक लाभ भी मिलेगा.

यह भी पढ़े -  गुरुग्राम यूनिवर्सिटी ने जारी की स्नातक कोर्सेज के लिए परीक्षा डेटशीट, 23 नवंबर से डाउनलोड कर सकते हैं E-Admit Card

पर्यावरण विभाग ने कही ये बात

पर्यावरण अध्ययन विभाग की अध्यक्ष डॉ. मोना शर्मा ने कहा कि इस अनुदान से अत्याधुनिक लैब स्थापित की जाएंगी. जीसीएमएस, एचपीएलसी, एलिमेंटल एनालाइज़र, कैमरा के साथ माइक्रोस्कोप, माइक्रोवेव डाइजेस्टर और जल शोधन प्रणाली अनुसंधान औद्योगिक पर्यावरण अनुप्रयोगों के क्षेत्र में शोध करने वाले छात्रों और संकाय सदस्यों को अपनी उन्नत अनुसंधान सुविधाओं के लिए वैज्ञानिक संस्थानों की ओर देखना पड़ता था.

विभाग की ओर से प्रस्ताव किया पेश

इसके लिए विभाग की ओर से प्रस्ताव पेश किया गया और स्क्रीनिंग के बाद सबसे पहले प्रेजेंटेशन दिया गया. इस स्वीकृत बजट को प्राप्त करने के लिए हकेंवी ने गीतम विश्वविद्यालय विशाखापत्तनम में विशेषज्ञ समिति के समक्ष प्रस्ताव प्रस्तुत किया था. विभाग को मुख्य रूप से अनुसंधान सुविधाओं के साथ मजबूत करने के लिए बजट को मंजूरी दी गई है. यह आर्थिक सहायता पहले से ही प्रगतिशील लोगों को बढ़ावा देने वाली है. विभाग और विश्वविद्यालय में अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र के संकाय सदस्य अधिक शोध करने में सक्षम होंगे.

यह भी पढ़े -  CBSE बोर्ड ने खत्म किया छात्रों का इंतजार, 10वीं- 12वीं की वार्षिक परीक्षा की डेटशीट हुई जारी

ऐसे किया जाएगा शोध

विभाग की अध्यक्ष डॉ. मोना शर्मा ने बताया कि इन उपकरणों की मदद से पराली और अन्य कचरे को एंजाइम के जरिए बायो-एथेनॉल में बदला जाएगा. इस प्रक्रिया के दौरान बायोचार नामक अपशिष्ट पदार्थ की निम्नलिखित मात्रा प्राप्त होगी, जिसका उपयोग हम खेतों में उर्वरक के रूप में भी कर सकते हैं. यह प्रक्रिया जहां पराली प्रबंधन को मजबूत करेगी. वहीं, किसानों के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होगी. वर्ष 2025 तक ईंधन में इथेनॉल मिलाने की भी योजना है. इससे इसकी गुणवत्ता में सुधार और प्रदूषण के स्तर को कम करने सहित मानव स्वास्थ्य के लिए लाभकारी परिणाम मिलेंगे.

यह भी पढ़े -  चंडीगढ़ के प्राइवेट स्कूलों में एंट्री क्लास के लिए 1 दिसंबर से शुरू होगी एडमिशन प्रोसेस,15 जनवरी तक कर पाएंगे आवेदन

50 छात्र और शोधकर्ता अगले पांच वर्षों तक करेंगे शोध

बता दें कि मौजूदा समय में पराली एक बड़ी समस्या बन गई है. इस राशि से हाकनविस की तीन प्रयोगशालाओं में अत्याधुनिक उपकरण खरीदे जायेंगे. इसके जरिए पराली प्रबंधन पर शोध में मदद मिलेगी. पराली से होने वाले प्रदूषण से मनुष्यों पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव को कम किया जा सकता है. पर्यावरण अध्ययन विभाग के सात शिक्षक और लगभग 50 छात्र और शोधकर्ता अगले पांच वर्षों तक शोध करेंगे.

हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!

exit