हरियाणा में विलुप्त नस्लों को बचाने की पहल, फ्रोजन तकनीक से रिजर्व किए जाएंगे सीमन

करनाल | हरियाणा के करनाल में स्थित नेशनल एनिमल जेनेटिक रिसोर्सेज ब्यूरो ने पशुओं की विलुप्त होती प्रजातियों को बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. इस सेंटर द्वारा फ्रोजन तकनीक से देशी नस्लों की सीमन डोज को सुरक्षित किया जा रहा है. इस सेंटर ने बताया है कि हमारे हिसाब से 38 नस्लें असुरक्षित है, जिन्हें सहेजने की आवश्यकता है.

Cow and Buffalo

ऐसे में इस सेंटर पर 7 प्रजातियों की करीब 3 लाख सीमन डोज को भविष्य के लिए सहेजकर रखा गया है ताकि कोई भी नस्ल समाप्त हुई तो उसे फिर से तैयार किया जा सकें. संस्थान द्वारा भारत की देशी नस्लों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए देशभर में 26 केन्द्र स्थापित किए हैं जिनमें 212 नस्लों को पंजीकृत किया गया है.

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इनमें भैंसों की 20 नस्लें और गाय की 53 नस्लें है. जो नस्लें अभी तक पंजीकृत नहीं हुई है, संस्थान उनकी पहचान कर पंजीकृत करने में जुट गया है. संस्थान ने राष्ट्रीय जीन बैंक के मार्फत देश की 7 प्रजातियों की 63 जातियों की 3 लाख सीमन डोज को रिसर्व किया है. जिनमें भैंस, गाय, भेड़- बकरी, सूअर, मुर्गी सहित अन्य शामिल हैं.

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5 नस्लें विलुप्त होने की कगार पर

संस्थान निदेशक डॉ बीपी मिश्रा ने बताया कि बैंक में विभिन्न प्रजातियों का DNA और सोमेटिक सेल भी सुरक्षित रखा गया है. वहीं, विलुप्त होती प्रजातियों के संरक्षण और संवर्धन पर काम शुरू किया गया है. विभिन्न वर्गों से ऐसी कुल 38 नस्लें सामने आई है और इनमें से 5 नस्लें तिब्बती भेड़ और बकरी, एरेरा बकरी (अंडमान- निकोबार), मेवाती ऊंट और मालवी मेवाड़ी की नस्लें लुप्त होने की कैटेगरी में शामिल हैं.

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65 साल पुराने सीमन आज भी सुरक्षित

संस्थान के एक वैज्ञानिक ने बताया कि राष्ट्रीय जीन बैंक में लिक्विड नाइट्रोजन में लंबे समय तक जानवरों के सीमन को सुरक्षित रखा जा सकता है. लिक्विड नाइट्रोजन का तापमान- 196 डिग्री सेंटीग्रेड होता है और इसपर 65 साल पुराने सीमन सुरक्षित किए गए हैं जो आज भी बिल्कुल सही कंडीशन में है.

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