पंचकूला | वर्षों बाद विश्व धरोहर कालका- शिमला रेलवे सेक्शन में रेल मोटर कार की जगह देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन चलने का इंतजार करना पड़ेगा. रेलवे चाहता है कि नई हाइड्रोजन ट्रेन में 60 लोगों के बैठने की क्षमता हो. अब कंपनी के अधिकारी कमियों को दूर कर रेलवे को रिपोर्ट देंगे. इसके बाद ट्रायल को हरी झंडी दिखाई जाएगी. तकनीकी खामियों के कारण तीन कोच की यह ट्रेन ट्रायल में फेल हो गई है.
विशेषज्ञ खामियां दूर करने में जुटे
बता दें कि ट्रेन पहाड़ियों पर नहीं चढ़ सकी. विशेषज्ञ खामियां दूर करने में जुटे हैं. आधुनिक तकनीक से बनी हाइड्रोजन ट्रेन रेलवे को सौंपे जाने से पहले ही फेल हो गई थी. नए साल में इसका दोबारा परीक्षण किया जाएगा. हाइड्रोजन ट्रेन करीब एक किलोमीटर अंदर ही जवाब दे गई थी. ट्रायल के दौरान न सिर्फ कंपनी के अधिकारी बल्कि रेलवे के अधिकारी भी मौजूद थे. वर्तमान में रेल मोटर कार 12, 14 और 16 यात्री डिब्बों के साथ चल रही है. इसकी स्पीड भी वर्तमान में चल रहे वाहनों से ज्यादा होगी.
यात्रा का समय कम करने की भी चल रही कोशिशें
96 किलोमीटर के इस ट्रैक पर सफर को पांच घंटे से घटाकर साढ़े तीन से चार घंटे करने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली. इस ट्रैक पर गोलाई और ऊंचाई ट्रेन की गति बढ़ाने में बाधक बनी हुई है. इस खंड में 919 मोड़ हैं, जिनमें सबसे तीव्र मोड़ ट्रेन को 48 डिग्री पर मोड़ता है. ऐसे में स्पीड को और बढ़ाना संभव नहीं लग रहा है.
रेल मंत्री ने री- अलाइनमेंट के जरिये स्पीड बढ़ाने की बात कही थी. वर्तमान में कालका और शिमला के बीच ट्रेनों की गति 25 किलोमीटर (किमी) प्रति घंटा है, जबकि रेल मोटर कारों की गति 30 किमी प्रति घंटा है. रिसर्च डिज़ाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ), लखनऊ ने एक सर्वे भी कराया ताकि स्पीड बढ़ाई जा सके, लेकिन कर्व का विकल्प अभी तक नहीं खोजा जा सका.
हाइड्रोजन ट्रेन में होंगी आधुनिक सुविधाएं
बता दें कि ट्रेन में आधुनिक सुविधाएं हैं. जिसमें सीसीटीवी कैमरे, हीटर, डिजिटल बोर्ड, मोबाइल चार्जर प्वाइंट आदि शामिल हैं. वंदे भारत की तर्ज पर तीनों कोचों में इंजन लगा हुआ है. कंपनी की ओर से दोबारा ट्रायल किया जाएगा, जिसमें सफल होने के बाद रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) की टीम इसका दोबारा ट्रायल करेगी.
हाइड्रोजन और डीजल से चलेगी ये ट्रेन
बेंगलुरु की कंपनी ने ही इंजन और कोच तैयार किये हैं. यह ट्रेन हाइड्रोजन और डीजल से चलेगी. हाइड्रोजन इंजन के प्रयोग से हानिकारक गैसें उत्सर्जित नहीं होती हैं. केवल जलवाष्प ही निकलती है. इसमें हरा- भरा आवरण है, यह स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल है.
ट्रेन चलने पर मिलेंगी ये सुविधाएं
तीन कोच वाली इस ट्रेन ने यात्रियों के लिए कई सुविधाएं मुहैया कराई हैं. इसमें एसी, हीटर, वॉशरूम, एलईडी, डिस्प्ले बोर्ड, सीट के पास मोबाइल के लिए चार्जिंग स्विच, सीट के साथ पैनिक स्विच की सुविधा है. इसी तरह सभी कोचों में कैमरे लगाए गए हैं.
ड्राइवर केबिन में लगी एलईडी स्क्रीन से तीनों कोचों की हर गतिविधि पर नजर रखी जा सकेगी. ड्राइवर के केबिन के पास एक आपातकालीन दरवाजा है, जबकि दो स्क्रीन पर आने वाले स्टेशन और वर्तमान स्टेशन की जानकारी भी मिलेगीडीआरए. प्रत्येक सीट के पीछे एक टेबल ट्रे है ताकि यात्री यात्रा के दौरान ट्रे में खाना रख सकें.
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