फतेहाबाद: ऐतिहासिक हड़प्पाकालीन स्थल पर 8वीं बार शुरू हुई खुदाई, मिली 6 हज़ार साल पुरानी भट्टिया

फतेहाबाद | हरियाणा के फतेहाबाद के भूना खंड के गांव कुनाल में मिले ऐतिहासिक हड़प्पाकालीन स्थल पर 8वीं बार खुदाई का काम शुरू हो गया है. बुधवार को खुदाई का 11वां दिन है और यहां 3 महीने तक खुदाई जारी रहेगी. यहां हड़प्पा सभ्यता की वो परतें खुलेंगी, जो अब तक दुनिया के सामने नहीं आई हैं. बता दे, लोगों की भी इस खुदाई पर निगाहें हैं.

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सरस्वती नदी के तट पर स्थापित किया गया था शहर

यह शहर कुनाल में सरस्वती नदी के तट पर स्थापित किया गया था. आज भी यहां हड़प्पा काल के कई अवशेष मिलते हैं, जो उस समय की आधुनिक सभ्यता के द्योतक हैं. यहां लोग गड्ढे खोदकर जीवन यापन करते थे. इसके अलावा, उन्होंने अपने घरों के आसपास बांस लगाकर पोस्ट होल भी बनाए हैं. ये लोग शाकाहार के साथ- साथ मांसाहारी भोजन भी करते थे.

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यहां कई बड़े जानवरों के अवशेष मिलते हैं, जिससे पता चलता है कि परिवार बढ़ने के बाद वे बड़े जानवरों को आग में पकाकर खा जाते थे. 7 पहले की खुदाई में तीर के ब्लेड, बाट और शिकार के लिए मोती बनाने में इस्तेमाल होने वाले पत्थर भी यहां पाए गए हैं. इसके अलावा, यहां चांदी के मुकुट और सोने के आभूषणों के साथ- साथ मुहर और टेराकोटा के अवशेष भी मिले हैं.

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हड़प्पा सभ्यता की मिली अग्नि भट्टियां

वर्तमान में यहां खुदाई के दौरान पूर्व- हड़प्पा सभ्यता की अग्नि भट्टियां मिली हैं. पुरातत्व विशेषज्ञों का मानना है कि इस सभ्यता के लोग फारसी देशों के साथ व्यापार करते थे. वहां से कच्चा माल यहां आता था और भट्टियों के माध्यम से मोती और मिट्टी के बर्तन तैयार कर अफगानिस्तान और बलूचिस्तान भेजे जाते थे यानी ये लोग बिजनेस के मामले में अपनी काबिलियत साबित कर चुके थे. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उस समय ये लोग अपनी कारीगरी को बहुत महत्व देते थे. उन्होंने एक तरफ बस्ती और दूसरी तरफ एक कार्यशाला बनाई.

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तीन महीने तक खुदाई रहेगी जारी

पुरातत्व विभाग के उपनिदेशक डॉ. बुनानी भट्टाचार्य का कहना है कि हड़प्पा काल के साक्ष्य मिले हैं. यहां के लोगों के रहन- सहन के बारे में अभी और जानकारी जुटाई जानी बाकी है. तीन महीने तक खुदाई का काम चलेगा. कुनाल में हड़प्पा काल की शुरुआत 6 हजार साल पहले हुई थी. यह स्थल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जब यह सभ्यता फली- फूली, उसी समय मेसोपोटामिया, मिस्र और चीन में नई सभ्यताओं का जन्म हुआ. अब इस साइट पर इतिहास को खंगालने का काम फिर से शुरू हो गया है.

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