ज्योतिष | जैसा कि आपको पता है कि मौजूदा समय में मार्गशीर्ष का महीना चल रहा है. हिंदू धर्म में इस महीने को विशेष महत्व प्राप्त है. मार्गशीर्ष के इस महीने में दूसरा प्रदोष व्रत 24 दिसंबर को पडने वाला है, इस दिन रविवार है. रविवार के दिन पड रहे प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) को रवि प्रदोष व्रत भी कहा जाता है. प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की विधि विधान तरीके से पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है.
प्रदोष व्रत के दिन आपको प्रदोष काल में विशेष पूजा अर्चना करनी चाहिए. ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं और आपके जीवन के सभी परेशानियां समाप्त हो जाती है.
कब है प्रदोष व्रत?
शुक्ल त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ सुबह 6:24 पर 24 दिसंबर के दिन हो रहा है और इस तिथि का समापन अगले दिन 5:54 मिनट पर हो रहा है. इस दिन प्रदोष काल 5:30 मिनट से 8:15 मिनट तक रहेगा. इस दौरान यदि आप पूजा अर्चना करते हैं, तो आपको भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. आज हम आपको बताएंगे कि आपको किस विधि विधान से इस दिन पूजा अर्चना करनी चाहिए.
इस प्रकार करें पूजा
- सबसे पहले आपको जल्दी उठकर स्नान कर लेना है.
- स्नान करने के बाद साफ और स्वच्छ वस्त्र पहने और घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
- अगर आप व्रत रख सकते हैं, तो निश्चित रूप से आप इस दिन व्रत करें. भगवान भोलेनाथ को गंगाजल से अभिषेक करवाए.
- उसके बाद, उन्हें पुष्प अर्पित करें. इस दिन भगवान भोलेनाथ के साथ- साथ मां पार्वती और भगवान गणेश की भी पूजा करें
- भगवान भोलेनाथ को भोग लगाए और इस बात का खास ध्यान रखें कि भगवान भोलेनाथ को केवल सात्विक चीजों का भोग ही लगाएं.