हिसार | इस साल जिले के अधिकतर गाँवो में कपास की खेती करने वाले किसानों को भारी नुसकान झेलना पड़ रहा है. उनकी 90 प्रतिशत से ज्यादा कपास की फसल तबाह हो चुकी है. इसके दो बड़े कारण बताए जा रहें हैं. पहला तो यह है कि इस साल जिले में बारिश बहुत कम हुई है जिसकी वजह से फसल को नुकसान हुआ है. दूसरा बड़ा कारण है सफेद मक्खी है. इन सफेद मक्खियों ने कपास की फसल को बहुत ज्यादा हानि पहुंचाई है.
किसान कर रहे मुआवजे की मांग
मंगलवार को सुबह के वक्त हिसार में भारतीय किसान संघर्ष समिति के बैनर के नीचे क्रांतिमान पार्क में मय्यड़ के साथ- साथ 14 गांवों के किसान इकट्ठे हुए. फिर यहां से सभी किसान लघु सचिवालय पहुंचे और उपायुक्त को ज्ञापन देकर जल्द मुआवजे की मांग करने लगे. किसानो का कहना है कि उनकी 90 प्रतिशत फसल बर्बाद हो चुकी है. कुछ किसानों की तो पूरी की पूरी फसल खराब हो गई है. हिसार के डीसी ने सभी एसडीएम से फसल खराबे होने को लेकर रिपोर्ट मांगी है.
अधिकारियों की गतिविधियां
भारतीय किसान संघर्ष समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त से मिल कर विचार- विमर्श किया. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों बारिश व सफेद मक्खी द्वारा नष्ट हुई फसलों की अभी तक गिरदावरी नहीं कराई गई है. उपायुक्त ने प्रतिनिधिमंडल को विश्वास दिलाया है कि उन्होंने सभी उपमंडलाधीश से रिपोर्ट मांगी है और जल्द ही उचित कार्यवाही की जाएगी. किसानो ने 20 अगस्त को भी गिरदावरी की मांग की थी, लेकिन अभी तक न तो प्रभावित स्थानों की गिरदावरी कराई गई है और न ही उन्हें किसी तरह का कोई आश्वासन मिला है. इस मौके पर समिति के प्रदेशाध्यक्ष विकास सीसर, जिला प्रधान बबलु खरड़, युवा प्रभारी जोगेंद्र मय्यड़, सोमबीर भगाना सहित अन्य किसान मौजूद थे. उन्होंने किसानों से 10 सितंबर को सुबह दस बजे कुरुक्षेत्र के पीपली में प्रस्तावित किसान मजदूर आढ़ती रैली में पहुंचने का आह्वान किया.
इन गांवों में हुआ है नुकसान
समिति के अधिकारियों ने बताया है कि खरड़, अलीपुर, मय्यड़, भगाना, लाडवा, रामायण, खोखा, खरकड़ी, नियाणा, मिर्जापुर, ढंढेरी, कनोह, सुलखनी, धांसु, सीसर, भाटोल, खरकड़ा, किरमारा, बडाला व बास सहित बाकी गांवों में भी तेज बरसात, सफेद मक्खी से कपास की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गयी है. इसके अलावा किरतान, खारिया, सलेमगढ़, मींगनीखेड़ा, शाहपुर, सुंडावास, डोभी, बालसमंद, नारनौंद क्षेत्र के गांवों में भी नुकसान हुआ है. सैकड़ों एकड़ जमीन पर सिर्फ मुर्झाई कपास कपास की फसल ही दिखाई दे रही हैं.
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