हरियाणा में कड़ाके की ठंड से पशुओं के दुग्ध उत्पादन में गिरावट, NDRI ने सुझाएं बचाव के तरीके

करनाल | हरियाणा में हाड कपा देने वाली ठंड से पशु भी अछूते नहीं हैं. कड़ाके की ठंड पड़ने से गाय और भैंस के दुध उत्पादन में 10% तक की गिरावट दर्ज हो रही है. इससे जहां पशुपालकों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है तो वहीं साथ ही पशुओं को ठंड से बचाना भी चुनौती बना हुआ है. ठंड के मौसम को देखते हुए राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा पशुपालकों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है.

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विशेषज्ञों ने दी ये सलाह

अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों ने बताया कि दुधारू पशु के शरीर का नॉर्मल तापमान 101.2 डिग्री फारेनहाइट होता है. सर्द मौसम में यदि पशु का तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट तक भी चला जाए तो कोई परेशानी नहीं है. उन्होंने बताया कि शीतलहर में पशुओं के शरीर का तापमान संतुलित रखने के लिए उचित तापमान में रखने के साथ ही उनके रखरखाव और विकास के लिए पौष्टिक आहार दें. यदि पशु को पौष्टिक आहार व उचित तापमान नहीं मिलेगा तो शारिरिक रखरखाव और विकास की जरूरत को पूरा करने के लिए पशु दूध देना कम कर देते हैं.

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तूड़ी का करें इस्तेमाल

संस्थान निदेशक धीर सिंह ने बताया कि कड़कड़ाती ठंड से अपने पशुओं को बचाने के लिए पशु के ठाण में तूड़ी का इस्तेमाल करें. खिड़कियां व दरवाजे जहां से शीतलहर आने की संभावना है वहां पर बोरी व टाट के पर्दे आदि लगा दें. इसके अलावा, दाना व खनिज मिश्रण से युक्त संतुलित आहार पशुओं को खिलाएं क्योंकि पशु चारा शारिरिक विकास और दुग्ध उत्पादन पर असर डालता है.

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पशुओं को क्या खिलाएं और क्या न खिलाएं

NDRI निदेशक ने बताया कि सर्द मौसम में पशुओं को केवल हरा चारा खिलाने से अफारा व अपच की समस्या हो सकती है. ऐसे में हरे चारे के साथ सुखा चारा भी मिक्स करें. वहीं, पशुओं को गुनगुना, स्वच्छ व ताजा पानी पिलाएं क्योंकि पानी और चारे से ही दुध बनता है. पशुओं की शारिरिक प्रकिया में पानी का महत्वपूर्ण रोल होता है.

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इसके अलावा, धूप निकलने पर पशुओं को बाहर बांधे और खुश्की से बचाने के लिए सरसों तेल की मालिश करें. पशुओं के बाड़े के आगे अलाव जलाकर और उनके शरीर पर कपड़े आदि डालकर भी ठंड से बचाव कर सकते हैं. पशुओं के शेड पर पराली डाल दें ताकि उन्हें गर्माहट महसूस होती रहें. यदि पशु ठंड की चपेट में आ गया है तो तुरंत प्रभाव से वेटरनरी डाक्टर को दिखाएं.

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