ज्योतिष | हरियाणा में फसल उत्सव लोहड़ी इस साल 14 जनवरी को मनाई जाएगी. बता दे कि इसे पूरे उत्तर भारत में नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है. हरियाणा में हिंदू और सिख समुदाय के लोगों के लिए लोहड़ी का उत्सव किसी भी बड़े त्यौहार से कम नहीं है. इस त्यौहार के आने से पहले एक महीने तक कोई भी त्यौहार नहीं मनाया जाता, ना ही किसी प्रकार का कोई भी शुभ कार्य किया जाता है. लोहड़ी के पवित्र उत्सव पर आग जलाना, उसके चारों ओर इकट्ठा होना अग्नि देवता से प्रार्थना कर उन्हें भोजन भी अर्पित किया जाता है.
कब है लोहड़ी का पर्व
अग्नि देवता से लोग फसल के लिए आभार व्यक्त करते हैं. साथ ही, सुख- समृद्धि की प्रार्थना भी करते हैं. हरियाणा और पंजाब दोनों ही राज्यों में लोहड़ी के त्योहार पर दुल्हा भट्टी की कहानी काफी फेमस है. आपने भी कभी ना कभी अवश्य इस कहानी को सुना होगा. कहा जाता है कि अकबर के शासनकाल में दूल्हा भट्टी पंजाब में ही रहता था. कथाओं के अनुसार, जब संदलबार में लड़कियों को अमीर सोदागरों को बेचा जाता था, तब दूल्हा भट्टी ने उन लड़कियों की रक्षा की थी. उसके बाद, लोहड़ी पर दूल्हा भट्टी की कहानी सुनाई जाती है.
गर्म मौसम आने का देता है संकेत
हरियाणा मे लोहडी को फसलों की बुवाई और कटाई से जुड़ा हुआ एक विशेष त्योहार माना जाता है. यह गर्म मौसम के आगमन का भी संकेत देता है, क्योंकि मकर संक्रांति के बाद से दिन बड़े शुरू हो जाते हैं और राते छोटी हो जाती है. लोहड़ी की अग्नि में कटी हुई फसल, रेवड़ी, मूंगफली, गुड और गजक से बना भोग भी चढ़ाते हैं. तृतीया तिथि 14 जनवरी प्रातः 7:59 मिनट तक है और चतुर्थी तिथि प्रातः 04:59 बजे तक. ऐसी मान्यता है कि तिल में तात्कालिक लाभ के साथ दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ भी होता है. इसे आग में डालने से तिल के गुणो का संरक्षण होता है और यह हमें सेहतमंद रहने में मदद करता है.
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. Haryana E Khabar इनकी पुष्टि नहीं करता है.
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!