चंडीगढ़ | हरियाणा में लंबे समय से कॉन्ट्रैक्ट पर सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों के हित में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab & Haryana High Court) ने एक राहत भरा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से उन कदमों के बारे में बताने का आदेश दिया था, जहां ऐसे कर्मचारी अपनी जिंदगी के 20 साल कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने के बाद मर जाते हैं लेकिन पदों की कमी के चलते उन्हें पक्की नौकरी नहीं मिल पाती है. हरियाणा के महाधिवक्ता (एजी) को इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए व्यक्तिगत रूप से पीठ के समक्ष उपस्थित होने को कहा गया था.
हरियाणा सरकार का जवाब
वीरवार को एजी ने पीठ को बताया कि सरकार संविदा कर्मचारियों को लिए एक अलग कैडर बनाने पर विचार कर रही है, जिसमें कर्मचारी को नियमित नहीं किया जाएगा लेकिन अतिथि अध्यापकों की तरह 58 साल तक सेवा कर सकेगा.
हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश
- सरकार के इस जवाब पर पीठ ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि अलग कैडर नहीं, एक नीति बनाओ. जिसके तहत, इन कर्मचारियों की सेवा को नियमित किया जा सके. कोर्ट ने सरकार को इसके लिए 15 दिन का समय देते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी.
- हाईकोर्ट की कार्यवाहक चीफ जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस अमन चौधरी की खंडपीठ ने 2007 से राज्य में कढ़ाई और सुई कार्य प्रशिक्षक के रूप में सेवारत कुछ महिला संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किए हैं.
- इस बीच राज्य में लंबे समय तक सेवा प्रदान करने वाले कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करने के लिए एक कैडर बनाने की राज्य सरकार की योजना पेश करते हुए इस मुद्दे पर राज्य की नीति के बारे में एक पत्र 23 नवंबर को हरियाणा सरकार द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष रखा गया था.
- राज्य की नीति के अनुसार, जहां भी प्रशासनिक विभाग/ बोर्ड/ निगम/ स्वायत्त इकाइयां नियमितीकरण नीतियों के तहत व्यक्तियों को नियमित कर रही हैं. प्रशासनिक विभाग, वित्त विभाग की मंजूरी के साथ ऐसे कर्मचारियों को समायोजित करने के लिए कुछ पद सृजित कर सकता हैं.
- नीति में आगे कहा गया कि वित्त विभाग को सलाह दी गई है कि जब भी कोई विभाग/ बोर्ड/ निगम/ स्वायत्त इकाई नियमितीकरण नीतियों के तहत नियमित होने के लिए प्रस्तावित किसी भी कर्मचारी के लिए पद बनाने के लिए मामला प्रस्तुत करता है तो कैडर के पदों के निर्माण के लिए सहमति प्रदान करें.