फरीदाबाद | हरियाणा में बहुत से प्रगतिशील किसान परम्परागत खेती का मोह त्याग कर बागवानी और ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. इसी कड़ी में फरीदाबाद जिले का किसान मुकेश यादव दो एकड़ में केले, पपीते, अमरूद, कीनू, नींबू की खेती से सालाना लाखों रुपए की कमाई कर रहा है. उन्होंने अपनी शिक्षा और शिक्षित होने का पूरा उपयोग अपने खेती- बाड़ी के अनुभव में किया और इंटरनेट का भरपूर उपयोग करते हुए सरकार की योजनाओं को समझा है.
किसान मुकेश ने परम्परागत फसलों गेहूं और धान जैसी फसलों से तौबा करते हुए फल और सब्जियों की आधुनिक खेती को अपना पेशा बनाया. उनकी मेहनत भी रंग लाई और आज वे अमरूद, नारंगी, अनार, मूली, गाजर, टमाटर, केला, पपीता, सरसों,पालक, धनिया, मिर्च, शलजम, चुकंदर, प्याज,आलू, मटर, टमाटर, पत्ता गोभी, फूल गोभी, मौसमी की भरपूर पैदावार ले रहा है.
युवा पीढ़ी खेती से हुई दूर
उन्होंने बताया कि शहरों की चकाचौंध भरी दुनिया देखकर आज के युवाओं का खेती से मोह भंग हो रहा है. किसान की नई पीढ़ी खेती से दूर सरकारी व निजी नौकरियां करने को प्राथमिकता दे रही है. इसलिए किसान की नई पीढ़ी को पहले खेती से जोड़ना होगा और इसमें आर्गेनिक व बागवानी खेती महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं. यह लेख पढ़ कर आप केला की खेती कर सकते है.
मुकेश यादव को पूसा संस्थान के नाम से लोकप्रिय भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के बीजों से विविध तकनीक अपनाकर खेती करने पर भी दिल्ली में आयोजित कृषि मेले में केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन ने इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट ‘फैलो फार्मर’ पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
वो पुसा 1121 धान किस्म से सालाना 50 एकड़ तक धान की खेती करते हैं और प्रति एकड़ 18 क्विंटल तक पैदावार ले रहे हैं. उनके धान को बाजार में इंडिया गेट बासमती के नाम से बेचा जाता है. इसी तरह से उन्होंने पूसा के गेहूं के बीज H-2851, HD-2967, WH- 711, PBW-343, PBW-502 किस्मों से भी अच्छा उत्पादन हासिल कर रहे हैं. गन्ना और दलहन के क्षेत्र में मूंग का उत्पादन करने पर मुकेश यादव पुरस्कार के लिए चयनित हो चुके हैं.
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