नई दिल्ली । अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) का संविधान के अनुच्छेद 75 में वर्णन किया गया है. इसमें कहा गया है कि मंत्री परिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होंगी. यानी कि मंत्रिपरिषद तभी तक है जब तक कि उसे सदन में बहुमत प्राप्त है.
जानिए अविश्वास प्रस्ताव के बारे में विस्तार से
अगर विपक्ष सरकार को लगे कि वर्तमान सरकार का बहुमत घटकर अल्पमत रह गया है. तो वह वर्तमान सरकार के खिलाफ प्रस्ताव ला सकती है. जिसे अविश्वास प्रस्ताव कहते हैं. विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव पारित करके वर्तमान सरकार को हटा सकते हैं. इस प्रस्ताव के लिए यह आवश्यक है कि 50 सदस्यों की सहमति अनिवार्य है. लोकसभा मंत्रिमंडल को अविश्वास प्रस्ताव पारित करके हटा सकती हैं.
अविश्वास प्रस्ताव पारित कराने के लिए विधानसभा में भी कम से कम 50 प्रतिशत सदस्यों का समर्थन हों चाहिए. तभी उसे स्वीकार किया जा सकता है. लोकसभा अध्यक्ष या स्पीकर की मंजूरी मिलने के बाद 10 दिनों के अदंर इस पर चर्चा कराई जाती है. बिलकुल इसी तरह विधानसभा में भी कार्यवाही को अमली जामा पहनाया जाता है. चर्चा के बाद स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग कराता है या फिर कोई फैसला ले सकता है.
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!