चंडीगढ़ । हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर आज यानि बुधवार को विधानसभा में बहस होने की सम्भावना है. प्रस्ताव पर वोटिंग के मद्देनजर सता पक्ष और विपक्ष ने अपने अपने सदस्यों को विहिप जारी कर सदन में उपस्थित होने के लिए कहा है. इस पुरी कवायद से कांग्रेस को बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है. उनका मकसद केवल बीजेपी जेजेपी को बेनकाब करना है. अविश्वास प्रस्ताव पर पहले सदन में बहस होगी और उसके बाद काउंटिंग होगी.
सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव कृषि कानूनों व किसानो के आन्दोलन के मुद्दे पर दिया गया है. सरकार की सहयोगी जजपा के लिए यह प्रस्ताव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है क्योंकि जजपा पार्टी खुद को किसान हितैषी बताती है. अगर जेजेपी अविश्वास प्रस्ताव में बीजेपी के साथ जाती है तो किसानों के एक बड़े तबके की नाराज़गी झेलनी पड़ेगी.
आंकड़ों का गणित
अविश्वास प्रस्ताव में बीजेपी का सारा दारोमदार जजपा पर टिका है क्योंकि कुछ निर्दलीय विधायक पहले ही सरकार से समर्थन वापस ले चुके हैं. जजपा दस विधायकों के साथ सरकार में सहयोगी है. हालांकि जजपा के कुछ विधायक भी कृषि कानूनों के पक्ष में सरकार के खिलाफ बोलते नजर आए हैं. पार्टी विहिप से बंधे होने के कारण शायद ही कोई विधायक सरकार के खिलाफ वोट करे. कुछ निर्दलीय विधायक भी सरकार के साथ है. ऐसे में फिलहाल की स्थिति को देखते हुए सरकार के लिए अविश्वास प्रस्ताव शायद ही कोई परेशानी खड़ी करें.
कांग्रेस में भी आपसी झगड़ा
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव बिना किसी तैयारी के लाया गया है. दरअसल पार्टी की तरफ से दिए गए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर 25 विधायकों के हस्ताक्षर हैं जबकि विधानसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 30 है. जिन विधायकों ने नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं,वे हुड्डा के खासमखास मानें जाते हैं.
विधानसभा का गणित
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को 40 सीटें मिली थीं जबकि सरकार में उनकी सहयोगी जजपा पार्टी को 10 सीटें प्राप्त हुईं थीं. कांग्रेस को 30 व निर्दलीय को 7 सीटें मिली थीं. एक सीट हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा को मिली थीं. मुख्यमंत्री मनोहर लाल को जजपा के 10 व निर्दलीय विधायकों में 7 में से 5 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. 90 सदस्यों वाली विधानसभा में दो सीटें खाली है.
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