नई दिल्ली | नए कृषि कानूनों के विरोध में धरनों पर बैठे किसानों ने आगामी गर्मी के मौसम को देखते हुए अपने रहन- सहन व खान- पान के स्टाइल में परिवर्तन करना शुरू कर दिया है. जहां आशियाने की बात करें तो ट्रालियों की जगह अब झोपड़ियों ने ले ली है. खाने के मैन्यु में भी इस प्रकार से बदलाव किया गया है कि धरना प्रदर्शन करने वाले किसानों को धुप में बैठने से स्वास्थ्य संबंधी किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो. सुबह नाश्ते से लेकर दोपहर व रात तक के भोजन में हल्की चीजें शामिल की गई है. इसके साथ ही पैय पदार्थों की मात्रा भी बढ़ा दी गई है.
गाजीपुर किसान आंदोलन कमैटी के सदस्य बलजिंदर सिंह मान ने बताया कि किसान सर्दी व गर्मी में शरीर की जरूरत के हिसाब से अलग-अलग भोजन लेते हैं. इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए अब भोजन के मैन्यु में बदलाव किया गया है. जहां पहले सर्द मौसम के कारण चाय व काफी के स्टाल ज्यादा नजर आते थे.
वहीं अब इनकी जगह लस्सी, रायता, शिकंजी, शरबत , नींबू पानी के स्टाल लगेंगे. धुप में शरीर में पानी की कमी ना होने पाए, इसके लिए जगह जगह पानी के स्टाल लगाए गए हैं. नाश्ते में ब्रेड पकोड़ा जैसी तली चीजों की बजाय दलिया, खिचड़ी पर ज्यादा ध्यान रहेगा. इसके अलावा खाने में पुड़ी, कचौड़ी की बजाय रोटी, सब्जी व चावल दिया जाएगा.
कृषि कानूनों के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत 13 मार्च को पश्चिम बंगाल में किसानों की जनसभा को संबोधित करेंगे. उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए किसानों से सम्पर्क किया है.
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