ज्योतिष | सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है और इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करनी चाहिए. इस साल महाशिवरात्रि पर शुक्र प्रदोष व्रत का भी संयोग बनने जा रहा है. वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत किसी भी महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. बता दें कि महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है.
इसी वजह से इस बार की फाल्गुन की त्रयोदशी तिथि और महाशिवरात्रि की पूजा का निशिता मुहूर्त एक ही दिन है. आज की इस खबर में हम आपको प्रदोष व्रत की क्या तिथि है और इसका शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है, इस बारे में जानकारी देने वाले है.
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 8 मार्च देर रात 1:18 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 8 मार्च को रात 9:56 मिनट तक रहने वाला है. उसके बाद, चतुर्दशी तिथि की शुरुआत हो जाएगी. शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष काल की पूजा सूर्यास्त के बाद ही की जाती है. इसी वजह से अबकी बार शुक्र प्रदोष व्रत 8 मार्च को है. पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6:24 मिनट से शुरू होगा, जो रात 8:53 मिनट तक रहने वाला है.
बन रहे खास संयोग
शुक्र प्रदोष व्रत के दिन स्वार्थ सिद्धि योग और शिव योग का भी संयोग बन रहा है, ऐसे में यह दिन और भी खास हो जाता है. स्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6:35 मिनट पर शुरू होगा और इसका समापन 10:40 पर होगा. वहीं, शिवयोग सुबह से शुरू होकर 12:46 मिनट तक रहने वाला है. इन दोनों ही योगो को बेहद ही खास माना जाता है. इस दौरान यदि हम पूजा करते हैं तो हमें दौगुना फल प्राप्त होता है.
शुक्रवार के दिन पड़ने वाले व्रत को ही शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है, इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है. यदि कोई व्यक्ति प्रदोष व्रत करता है, तो दो गायों को दान करने के समान पुण्य फल उसे मिलता है.
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. Haryana E Khabar इनकी पुष्टि नहीं करता है.
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