सिद्धू मूसेवाला की मां ने IVF से बच्चे को दिया जन्म, सरकार ने भेजा नोटिस; पढ़ें पूरा माजरा

चंडीगढ़ | पंजाब के लोकप्रिय गायक स्वर्गीय सिद्धू मूसेवाला की मां विवादों में घिर चुकी हैं, जिससे लगातार उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही है. दरअसल, मूसेवाला की मां चरण कौर ने हाल ही में बेटे को जन्म दिया है. उन्होंने गर्भधारण के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ तकनीक का सहारा लिया था. अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पंजाब सरकार और मूसेवाला की मां से इसे लेकर रिपोर्ट देने को कहा है.

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58 साल की हैं मां चरण कौर

आपकी जानकारी को लिए बता दिया जाए कि चरण कौर 58 साल की हैं. अब वरिष्ठ नागरिक होने से मां बनने को लेकर एक नई समस्या सामने आई है. यही वजह है कि अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आईवीएफ इलाज को लेकर पंजाब सरकार से रिपोर्ट मांगी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पत्र लिखकर पंजाब सरकार से जल्द रिपोर्ट सौंपने को कहा है. इस पत्र में चरण कौर की उम्र को लेकर भी सवाल पूछे गए हैं.

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स्वास्थ्य मंत्रालय ने पत्र में कही ये बात

स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि मूसेवाला की मां ने 58 साल की उम्र में आईवीएफ तकनीक के माध्यम से बच्चे को जन्म दिया है. सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) अधिनियम 2021 की धारा 21(जी)(i) के तहत, इस तकनीक का उपयोग करने के लिए एक महिला की निर्धारित आयु 21 से 50 वर्ष के बीच की जा सकती है. इस मामले की जांच की जानी चाहिए और एआरटी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के अनुसार इस मामले में की गई कार्रवाई पर एक रिपोर्ट भेजी जानी चाहिए.

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भारत में ये है नियम

आईवीएफ तकनीक के जरिए 60, 70, 80 साल की उम्र में भी बच्चे पैदा किए जा सकते हैं, लेकिन भारत के नियमों के मुताबिक यहां इस उम्र सीमा की इजाजत नहीं है. भारत में वर्ष 2021 में पारित कानून ‘सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) अधिनियम 2021’ के अनुसार, महिलाओं को 50 वर्ष की आयु तक आईवीएफ उपचार के माध्यम से मां बनने की अनुमति है, जबकि पुरुष इस तकनीक से 55 वर्ष की आयु तक पिता बन सकते हैं.

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जानें क्या है आईवीएफ?

आईवीएफ को आमतौर पर टेस्ट ट्यूब बेबी या कृत्रिम गर्भावस्था भी कहा जाता है. आईवीएफ उन महिलाओं के लिए गर्भधारण करने की एक विधि है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में विफल रहती हैं. जब एक महिला का शरीर अंडों को निषेचित करने में नाकाम हो जाता है तो उसे लैब में निषेचित किया जाता है. इसमें महिला के शरीर से अंडाणु (ओवम) और पुरुष के शरीर से शुक्राणु लिया जाता है, फिर दोनों को लैब में निषेचित किया जाता है. इससे एक भ्रूण बनता है, जिसे महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है.

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