हिसार | हरियाणा की सबसे चर्चित और हॉट लोकसभा सीटों में हिसार सीट की गिनती होती है. इस सीट पर हमेशा से ही सूबे के बड़े राजनीतिक घरानों के बीच सियासी मुकाबला होता रहा है. इस सीट पर वोटर्स ने कभी बांगर तो कभी बागड़ क्षेत्र के प्रत्याशी को गले लगाकर लोकसभा भेजने का काम किया है.
परिसीमन के बाद बदली परिस्थितियां
साल 2004 से पहले हिसार लोकसभा सीट पर बांगर क्षेत्र के नेताओ की तूती बोलती थी, लेकिन नए परिसीमन के बाद बांगर क्षेत्र की राजनीतिक ताकत पर कैंची चली. उसके बाद, बागड़ क्षेत्र के नेताओ का इस सीट पर दबदबा देखने को मिला. साल 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे को छोड़ दे तो यहां से नए परिसीमन के बाद दो आम चुनाव और एक उपचुनाव हुआ है, जिसमें बागड़ क्षेत्र से जुड़े नेताओं ने जीत हासिल की है.
1977 से पहले था बाहरी व्यक्तियों का प्रभाव
1977 के लोकसभा चुनावों से पहले हिसार लोकसभा सीट पर बाहरी व्यक्तियों का प्रभाव ज्यादा रहा था. 1952 में यहां से सांसद बने लाला अचिंत राम मूलरूप से दिल्ली के निवासी थे. ठाकुर दास भार्गव व रामकिशन गुप्ता हिसार से जबकि मनीराम बागड़ी पीलीमंदोरी से संबंध रखते थे और इन क्षेत्रों की गिनती बागड़ क्षेत्र में होती है.
1977 में बदला हवा का रुख
1977 में हुए लोकसभा चुनावों में हिसार लोकसभा सीट पर बतौर प्रत्याशी उचाना हल्के के गांव डूमरखां निवासी इंद्र सिंह शयोकंद चुनावी रण में उतरे और जीत हासिल कर राजनीतिक चौधर को बागड़ से बांगर की धरती पर ले गए. इसके बाद, 1984 में हुए लोकसभा चुनावों में चौधरी बीरेंद्र सिंह ने भी इस चौधर को खिसकने नहीं दिया. चौधरी बीरेंद्र के बाद 1989, 1996 व 2004 में जयप्रकाश उर्फ जेपी, 1998 से 2004 तक सुरेन्द्र बरवाला और 1991- 96 तक मास्टर हरि सिंह ने हिसार लोकसभा को फतह करते हुए बांगर की चौधर को बरकरार रखा.
बांगर क्षेत्र की राजनीतिक ताकत हुई कम
2009 में परिसीमन के दौरान बांगर क्षेत्र की राजनीतिक शक्ति को छिन्न-भिन्न कर दिया गया. बांगर क्षेत्र के नरवाना विधानसभा क्षेत्र को सिरसा लोकसभा क्षेत्र में, कलायत विधानसभा क्षेत्र को कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र में तथा जींद विधानसभा क्षेत्र को सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में शामिल कर दिया गया. वहीं, दूसरी तरफ बागड़ के विशेष क्षेत्र आदमपुर को भिवानी लोकसभा की जगह हिसार लोकसभा में डाल दिया गया. जिसका परिणाम यह हुआ कि बांगर के नेताओ का राजनीतिक प्रभाव हिसार लोकसभा क्षेत्र में कम हो गया और बागड़ क्षेत्र की राजनीतिक ताकत और ज्यादा बढ़ गई.
इस परिसीमन के बाद 2009 के लोकसभा चुनावों में हिसार सीट पर चौधरी भजनलाल ने जीत दर्ज की और 2011 में उनकी मौत के बाद हुए उपचुनाव में उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई ने हिसार लोकसभा सीट पर जीत हासिल की. साल 2014 के लोकसभा चुनावों में इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी की टिकट पर हिसार सीट से दुष्यंत चौटाला ने जीत हासिल कर बागड़ की चौधर को बरकरार रखा.
मोदी लहर में फिर लौटी बांगर की चौधर
2019 के लोकसभा चुनावों में मोदी लहर के बीच हिसार लोकसभा सीट पर बीजेपी ने चौधरी बीरेंद्र सिंह के पुत्र बृजेन्द्र सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया और उन्होंने दुष्यंत चौटाला को हराते हुए राजनीतिक चौधर को फिर से बांगर की धरती पर पहुंचा दिया. बता दें कि हरियाणा की राजनीति का केंद्र बिंदु हिसार लोकसभा क्षेत्र रहा है. हिसार की धरती ने देश व प्रदेश को राजनीति के बड़े चेहरे दिए हैं, जिन्होंने अपने बलबूते अपनी अलग पहचान बनाई है.
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