दिल्ली का सरकारी स्कूल जहां पर 3600 बच्चे टीन शेड के नीचे करते हैं पढ़ाई, पढ़ें अनोखा राज

नई दिल्ली | आपने दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बारे में बहुत सुना होगा. दिल्ली सरकार ने ऐसे मॉडल स्कूल बनाए हैं, जिनकी चर्चा विदेशों में भी आती है. आज हम आपको दिल्ली सरकार के एक ऐसे अनोखे स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आप चौंक जाएंगे. आइए आपको बताते हैं….

Delhi School

टिन शेड के अंदर चलता है स्कूल

उत्तर पूर्वी दिल्ली इलाके में आरडीजेके गवर्नमेंट को- एड सीनियर सेकेंडरी स्कूल के नाम से चलने वाला यह स्कूल एक टिन शेड के अंदर चलता है. इसकी छतें टिन से बनी हैं. स्कूल की दीवारें भी आधी ऊंचाई तक हैं और केवल टिन से बनी हैं. जब आप इस स्कूल में प्रवेश करेंगे तो आपको लगेगा कि आप किसी स्कूल में नहीं बल्कि किसी फैक्ट्री में प्रवेश कर गए हैं. दिल्ली के भजनपुरा में बना सरकारी स्कूल फेल होने वाले बच्चों को दाखिला मिलता है. इस अनोखे स्कूल में न तो ईंट-पत्थर की छत है और न ही सीमेंट की दीवारें हैं. फिर भी यहां प्रतिदिन 3600 बच्चे पढ़ने आते हैं.

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टिन से बनी दीवारों पर लटकाए ब्लैकबोर्ड

इस स्कूल में टीन से बनी दीवारों पर ही ब्लैकबोर्ड लटकाए जाते हैं. जब तेज हवा चलती है तो पूरे स्कूल में खड़खड़ाहट की आवाज होने लगती है. इतना ही नहीं, गर्मी के मौसम में टीन की छतों पर लटके पंखे भी गर्म हवा फेंकते हैं और यह गर्मी सीधे बच्चों के सिर पर पड़ती है. दशकों पुराने इस स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए बेंच और डेस्क की हालत ऐसी है मानो किसी कबाड़खाने में लकड़ी का टूटा हुआ फर्नीचर पड़ा हो. यहां सरकारी शिक्षक पढ़ाते हैं.

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दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर सोशल ज्यूरिस्ट अशोक अग्रवाल इस स्कूल का दौरा करने पहुंचे थे, जहां की हालत देखकर वह भी हैरान रह गए थे. अधिवक्ता अग्रवाल ने कहा कि एक याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने इन स्कूलों का दौरा कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है. उम्मीद है कि हाईकोर्ट इन स्कूलों की बेहतरी के लिए आदेश जारी करेगा. अग्रवाल ने कहा कि ऐसे स्कूल अरविंद केजरीवाल सरकार के शिक्षा मॉडल की पोल खोल रहे हैं.

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स्कूल में चलता है पत्राचार विद्यालय

दिलचस्प बात यह है कि इस स्कूल में एक पत्राचार विद्यालय भी चलता है. जिसमें 9वीं कक्षा में फेल होने वाले बच्चों को सीधे 10वीं कक्षा में प्रवेश मिलता है. यहां दो शिफ्ट होती हैं. पहली पाली में 1,800 लड़कियां पढ़ने आती हैं, जबकि दोपहर की पाली में 1,800 लड़के यहां पढ़ने आते हैं.

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