चंडीगढ़ | हरियाणा में लोकसभा चुनाव की मतदान की तारीख जैसे- जैसे नजदीक आ रही है, वैसे- वैसे चुनाव प्रचार अभियान रफ्तार पकड़ रहा है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) सभी 10 लोकसभा सीट पर अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी हैं. वहीं, अनदेखी के चलते बीजेपी के तीन सीनियर नेता चुनाव प्रचार से दूरी बनाकर घर बैठने को मजबूर हैं.
खास बात यह है कि तीनों ही नेता कभी मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे लेकिन उम्मीद के मुताबिक तवज्जो नहीं मिलने पर अब तीनों नेता खुलकर नाराजगी भी दिखा रहे हैं. 2014 से पहले हरियाणा में इन्हें बीजेपी का कर्ता-धर्ता माना जाता था लेकिन पार्टी ने पहले मनोहर लाल और अब नायब सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया.
पूर्व शिक्षा मंत्री का छलका दर्द
हरियाणा बीजेपी के सबसे सीनियर नेताओं में शुमार पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा का पिछले दिनों नांगल चौधरी में आयोजित हुई रैली में मंच पर संबोधन के दौरान दर्द छलक उठा. 2014 में बीजेपी ने उनके नेतृत्व में ही पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव लड़ा था और हरियाणा में पहली बार अपने बलबूते पर भाजपा की सरकार बनी. उस समय मुख्यमंत्री पद के लिए वो सबसे प्रमुख दावेदार थे, लेकिन पार्टी हाईकमान ने सबको चौंकाते हुए करनाल से पहली बार विधायक बने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बना दिया.
2019 में विज को झेलनी पड़ी मायूसी
2019 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी 40 सीटों पर सिमट कर रह गई और उसके कई बड़े दिग्गज मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा था. हालांकि उस समय JJP से गठबंधन कर बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब रही थी. इसके बाद, चर्चाओं ने जोर पकड़ा कि बीजेपी मनोहर लाल को हटाकर किसी और को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठा सकती है. तब 6 बार के विधायक अनिल विज का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे ऊपर था लेकिन पार्टी हाईकमान ने फिर से सबको चौंकाते हुए विज को दरकिनार कर मनोहर लाल को फिर से मुख्यमंत्री बना दिया.
टिकट कटने से कैप्टन नाराज
2014 के विधानसभा चुनावों में नारनौंद सीट से जीत हासिल कर मनोहर सरकार में वित्त मंत्री रहे कैप्टन अभिमन्यु हिसार लोकसभा सीट पर सबसे मजबूत दावेदार थे लेकिन पार्टी हाईकमान ने आधे घंटे पहले बीजेपी ज्वाइन करने वाले बिजली एवं जेल मंत्री रणजीत चौटाला को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया.
कैप्टन अभिमन्यु ने चुनाव से पहले ही हिसार लोकसभा क्षेत्र में प्रचार शुरू कर दिया था, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर अब चुनाव प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं. वहीं, हिसार से टिकट नहीं मिलने पर बिश्नोई परिवार की नाराजगी भी खुलकर सामने आ रही है और वे भी रणजीत चौटाला के चुनाव प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं.
अनिल विज अपने क्षेत्र में हुए सीमित
12 मार्च को BJP- JJP गठबंधन टूटने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और हरियाणा में नायब सैनी के नेतृत्व में निर्दलीय विधायकों के समर्थन से नई सरकार का गठन हुआ. नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाने पर मनोहर लाल सरकार में गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री रहे अनिल विज पूरी तरह से नाराज हो गए थे और विधायक दल की बैठक को बीच में ही छोड़कर चले गए थे.
हालांकि, पार्टी के नेताओं द्वारा उन्हें मनाने की कोशिश की गई थी लेकिन विज नहीं माने. इसके बाद, उन्हें नई सरकार के मंत्रिमंडल में भी शामिल नहीं किया गया. अब उनकी नाराजगी इस कदर बढ़ चुकी हैं कि वे अंबाला लोकसभा सीट से प्रत्याशी बंतो कटारिया के लिए अंबाला कैंट से बाहर कहीं भी चुनाव प्रचार में शामिल नहीं हो रहे हैं.
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!