पानीपत | हरियाणा के पानीपत में बनी कलंदर पीर (Kalandar Peer Panipat) की दरगाह देश ही नहीं, अपितु दुनिया में प्रसिद्ध है. पानीपत स्थित दरगाह पर 35 मुल्कों से लाखों जायरीन हर साल आते थे, लेकिन अब कोरोना के चलते आने वाले लोगों की संख्या में काफी कमी आई है. कहा जाता है कि पूरी दुनिया में ढाई कलंदर है, जिसमें पहला नंबर पानीपत स्थित पीर का है. दूसरे नंबर पर पाकिस्तान में स्थित कलंदर साहब का है और इराक में महिला राबिया के नाम पर बसरी शहर में आधा कलंदर है.
महिला के नाम पर होने की वजह से इसे आधा कलंदर माना जाता है. पानीपत स्थित दरगाह में हाली ओरिएंटल लाईब्रेरी और रिसर्च सेंटर भी है. इसमें हिंदी, उर्दू, इंग्लिश में पहली से लेकर बारहवीं तक की तकरीबन सारी किताबें मौजूद है. इस्लाम और कलंदर पीर पर रिसर्च करने के लिए देश विदेश से लोग यहां आते हैं. कई विश्वविद्यालय इस पर पीएचडी तक करवा रहे हैं. कलंदर पीर का पूरा नाम शरफूदीन बू अली शाह कलंदर है. कलंदर पीर के अंदर बादशाह जहांगीर के वजीर नवाब मुकबरअली खां और उनके परिवार की मजारें भी है.
इस मजार पर मिस्र से जहर खुरानी पत्थर लगवाया गया है. माना जाता है कि भारत में यह इकलौता ऐसा पत्थर है, बाकी पत्थर अभी मिस्र में ही है. ऐसा कहा जाता है कि किसी इंसान को कोई भी जहरीला कीड़ा काट लें तो इस पत्थर का पानी पिलाने से जहर का असर कम हो जाता है.
इसके चारों तरफ का कटघरा चांदी से बना है. इसके दरवाजे भी चांदी के हैं. इन पर सोने के पानी की लिखावट की गई है. दरगाह के गुंबद पर शीशे से कुरान की आयतें लिखी है. वक्फ बोर्ड के संपदा अधिकारी मोइनुद्दीन काजी ने बताया कि कलंदर पीर के मेन गेट पर कसौटी के पत्थरों के चार खंभे बनाएं गए हैं. दावा है कि इन खंभों पर किसी भी प्रकार की धातु रगड़कर उसकी गुणवत्ता जांची जा सकती है. आम तौर पर इस पत्थर का एक छोटा टुकड़ा जौहरी सोने चांदी की परख के लिए रखतें हैं.
बू अली शाह कलंदर पीर दरगाह के बारे में मान्यता है कि ये दरगाह 750 वर्ष पूरानी है. इसे जिन्नों ने एक ही रात में बनाया था. आज भी यहां जिन्नों के लगाएं नायाब पत्थर मौजूद है. बताया जाता है कि जब जिन्न इस दरगाह को रात के समय बना रहे थे और इमारत लगभग बनकर तैयार होने वाली थी तो सुबह उठकर शहर की किसी महिला ने हाथ से आटा पीसने वाली चक्की को चला दिया. चक्की की आवाज सुनकर जिन्न काम को अधूरा छोड़कर चले गए थे. इसके चारों कोनों पर मौसम का पूर्वानुमान बताने वाला पत्थर भी लगा है. बारिश से पहले ये पत्थर गीला हो जाता है. वहीं आंधी तुफान से पहले ये पत्थर अपना रंग बदल लेता है.
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