फरीदाबाद | हरियाणा की फरीदाबाद लोकसभा सीट से जुड़ा एक अनोखा वाक्या सामने आया है. इस सीट पर 12 चुनाव और एक मर्तबा उपचुनाव हुआ है लेकिन आज तक फरीदाबाद की जनता ने किसी महिला उम्मीदवार को विजयी नहीं बनाया है. हालात यह है कि चुनाव- दर- चुनाव महिला प्रत्याशियों की जमानत जब्त होने का सिलसिला यहाँ लगातार जारी रहा है. इसी कारण यहां पर प्रमुख राजनीतिक दल महिलाओं को चुनावी रण में उतारने से परहेज़ करते आ रहे हैं.
महिलाओं को टिकट देने में कंजूसी
फरीदाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत 9 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, लेकिन एकमात्र बड़खल सीट से महिला विधायक हैं जबकि बाकी 8 सीटों पर पुरूष विधायक हैं. इस लोकसभा सीट पर कभी भी किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल ने महिलाओं को टिकट देने की जहमत नहीं उठाई है. अब तक जितने भी चुनाव हुए हैं, सभी में पुरूष प्रत्याशियों को ही जीत नसीब हुई है.
2 चुनाव से एक भी महिला को टिकट नहीं
साल 1999, 2004 और 2019 के लोकसभा चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल ने फरीदाबाद लोकसभा सीट से महिला को टिकट देना उचित नहीं समझा. 1998, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में महिला उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई थी, लेकिन एक प्रत्याशी को छोड़कर बाकी अन्य 1 हजार वोट भी हासिल नहीं कर पाई थी.
चुनाव | उम्मीदवार | वोट | पार्टी |
1996 | स्वराज लांबा | 32,633 | जनता दल |
1996 | संतोष | 645 | निर्दलीय |
1998 | सुमित्रा | 800 | निर्दलीय |
1998 | पूनम सिंह | 673 | अजय भारत पार्टी |
2009 | लता रानी | 972 | समाजवादी पार्टी |
2009 | रेखा सिंह | 922 | समस्त भारत पार्टी |
2014 | निर्मला | 976 | जनता दल |
2014 | कुसुम कुमारी | 620 | ऑल इंडिया पीपुल फ्रंट |
2014 | सुशीला | 524 | निर्दलीय |
इसलिए दांव नहीं लगा रहीं पार्टियां
राजनीति के जानकारों का मानना है कि महिलाओं के जीतने की संभावना बेहद कम होती है, इसलिए राजनीतिक दल उनपर दांव लगाने से कतराते हैं. यही वजह है कि सियासी गलियारों में महिला सशक्तीकरण एक दूर का सपना ही दिखाई पड़ता है. जिस तरह हरियाणा सरकार ने पंचायती राज के इलेक्शन में महिलाओं की 50 फीसदी भागीदार सुनिश्चित की है, उसी तरह देश की सबसे बड़ी पंचायत में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए प्रयास करने होंगे.
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