चंडीगढ़ | हरियाणा के कॉलेज में शिक्षकों के करीबन 2,300 पद खाली हैं. यहां पर अयोग्य शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को पढ़ाया जा रहा है. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा के कालेजों में शिक्षकों के 2300 पद खाली होने के बावजूद भर्ती नहीं होने और अयोग्य शिक्षकों के शिक्षण को विद्यार्थियों की दुर्दशा कहा है. हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया है कि सरकार को 6 महीने के अंदर नियमित भर्ती करनी होगी.
केवल योग्य शिक्षकों को ही मिले आयु में छूट
कोर्ट की तरफ से यह भी साफ किया गया है कि आयु में छूट का लाभ सिर्फ योग्य शिक्षकों को ही दिया जाए. हाईकोर्ट के सामने विभिन्न पक्षों की अलग- अलग याचिकाएं विचाराधीन थी. इन सभी पर एक साथ फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि प्रदेश के कॉलेजों में एक्सटेंशन लेक्चरर कार्य कर रहें है. इन पदों पर भर्ती करते हुए 2010 में यूजीसी की तय की गई न्यूनतम योग्यता का ध्यान नहीं रखा गया. नेट या पीएचडी इसके लिए अनिवार्य है मगर बिना इस योग्यता के भी लोगों को शिक्षण कार्य दे दिया गया था.
विद्यार्थियों को पूरा अधिकार
इसके विरुद्ध, जब मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो सिंगल बेंच ने 2020 में अनिवार्य योग्यता पाने वालों को ही रखने का और बाकी को बाहर करने का आदेश जारी किया था. जब इस मामले में अपील खंडपीठ में पहुंची तो वहां पर 2020 की तय की गई कट आफ तारीख पर सवाल उठाते हुए इस पर रोक लगा दी गई. इसके बाद, हरियाणा सरकार की तरफ से दिसंबर 2023 में नोटिफिकेशन लाई गई और नई कट ऑफ तारीख तय कर दी गई.
हाईकोर्ट ने कहा कि विद्यार्थियों को अधिकार है कि वे योग्य शिक्षकों से पढ़ें मगर एक्सटेंशन लेक्चरर जो निर्धारित योग्यता पूरी नहीं करते हैं उन्हें उनसे पढने को मजबूर होना पड़ रहा है.
योग्यता वालों को मिले मौका
हाईकोर्ट ने कहा कि नियमित भर्ती होने तक निर्धारित योग्यता रखने वाले एक्सटेंशन लेक्चरारों को शिक्षण का अवसर दिया जा सकता है और सरकार चाहे तो शेष को सेवा से बाहर कर सकती है. नियुक्ति के दौरान भी आयु की छूट का लाभ सिर्फ उन्हीं एक्सटेंशन लेक्चरर को देना चाहिए जो न्यूनतम योग्यता पूरी करते हों और पिछले साल उन्होंने न्यूनतम 90 दिन या एक सेमेस्टर बच्चों को पढ़ाया हो.
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