फरीदाबाद में संयुक्त परिवार की मिसाल बना छज्जू राम का परिवार, 90 लोग रहते हैं साथ; 10 चूल्हों पर बनता है खाना

फरीदाबाद | आधुनिकता और भागदौड़ भरी जिंदगी में आजकल जहां पति- पत्नी एक साथ नहीं रहते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ फरीदाबाद जिले के पलवली गांव में संयुक्त परिवार की एकता का जबरदस्त उदाहरण सामने आया है. यहां 93 वर्षीय छज्जू राम ने अपने परिवार को एक सूत्र में पिरोकर ऐसे रखा है कि चार पीढ़ियों के 90 लोग एक साथ रहते हैं. लगभग 1 एकड़ में बनें इस घर में 10 चूल्हों पर पूरे परिवार के लिए खाना बनता है.

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मतभेद पर ऐसे होता है फैसला

जाहिर सी बात है कि घर में इतने सदस्य हैं तो किसी- न- किसी बात को लेकर मतभेद भी जरूर होते होंगे. इस सवाल पर जवाब मिलता है कि घर के किसी फैसले पर सभी सदस्यों की सहमति नहीं बन पाती तो एक तरह से वोटिंग होती है और फैसला बहुमत के आधार पर लिया जाता है, जो सभी सहजता से स्वीकार भी करते हैं.

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कुनबा बहुत बड़ा है तो संभावना भी इतना आसान नहीं है, लेकिन संभालने में परेशानी इसलिए नहीं आती है क्योंकि सभी का काम बंटा हुआ है. छोटी- छोटी बातों पर लड़ने-झगड़ने वाले लोगों के लिए के लिए पलवली का ये भारद्वाज परिवार मिसाल कायम कर रहा है. पारिवारिक एकता का इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता है.

बेटी IAS ऑफिसर, बेटे वकील

परिवार के सुप्रीमो छज्जू राम के 6 भाइयों में से दो भाईयों का स्वर्गवास हो चुका है. घर में 39 महिलाएं है. चौथी पीढ़ी में 17 प्रपौत्र हैं. परिवार का कोई सदस्य व्यापार करता है तो कोई खेती भी करता है. घर की बेटी रजनी भारद्वाज IAS अधिकारी हैं और गुरुग्राम के टैक्सेशन डिपार्टमेंट में कार्यरत हैं. परिवार के बेटे दीपक और प्रशांत भारद्वाज सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं.

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एक साथ वोट डालने जाते हैं सभी सदस्य

परिवार के सभी 80 सदस्य एक साथ मतदान करने वोटिंग सेंटर पर पहुंचते हैं. चुनावी मौसम में सभी राजनीतिक दलों के नेता इस घर के दरवाजे पर दस्तक देते हैं. पलवली में ऐसा माना जाता है कि इस परिवार के सदस्य जिस भी पार्टी को वोट देते हैं, जीत उसी को नसीब होती है.

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छज्जू राम का आदेश सर्वोपरि

दीपक भारद्वाज ने बताया कि उनके दादा छज्जूराम 5 साल तक 70 गांवों की ब्लॉक समिति के मेंबर और 20 साल तक ग्राम पंचायत के सदस्य रहे हैं. एक बार उनके पास ब्लॉक समिति का चेयरमैन बनने का ऑफर आया था, लेकिन परिवार की देखभाल के लिए उन्होंने इसे ठुकरा दिया था. परिवार को जोड़कर रखना और बच्चों को शिक्षित करना उनकी सबसे बड़ी और पहली प्राथमिकता रही है. परिवार के सदस्यों के लिए आज भी उनका आदेश सर्वोपरि है.

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