भारत सरकार के द्वारा लॉकडाउन के दौरान 2 नए कृषि अध्यादेशों और असेंसियल कमोडिटी एक्ट में संशोधन लाया गया था। परंतु अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव बजरंग गर्ग ने इन अध्यादेशों को किसानों और व्यापारियों दोनों के खिलाफ बताया है। इसलिए इस संशोधन के विरुद्ध देश की पहली किसान रैली कुरुक्षेत्र, हरियाणा में होने जा रही है।
10 सितंबर को कुरुक्षेत्र की पीपली अनाज मंडी में ‘किसान बचाओ मंडी बचाओ’ नाम से यह रैली की जाए गी। खास बात ये है कि इस रैली को अखिल भारतीय व्यापार मंडल का समर्थन प्राप्त है। इन अध्यादेशों को सरकारी मंडियों को खत्म करने और निजि मंडियों को बनाने के उद्देश्य से लाया गया है। परन्तु इससे व्यापारी और किसान दोनो बर्बाद होंगे। सरकार को ऐसा कोई भी फैसला नहीं लेना चाहिए जो किसानों, व्यापारियों व आम जनता के खिलाफ हो।
सरकार का उद्देश्य: MSP पर खरीद का प्रावधान खत्म हो
केंद्र सरकार ने जो अध्यादेश जारी किए हैं उसमें कहीं भी यह नहीं लिखा कि प्राइवेट कंपनीयां किसान की फसल MSP से कम दामों में नहीं खरीदेगी। इससे साफ-साफ यही साबित होता है कि केंद्र सरकार फसल MSP पर खरीदने का प्रावधान खत्म करना चाहती है। सरकार के ये कृषि अध्यादेश पूरी तरह से किसान, मजदूर विरोधी है।
राष्ट्रीय महासचिव बजरंग गर्ग ने बताया है कि इससे पहले भी एक बार इन अध्यादेशों के खिलाफ ट्रैक्टर आंदोलन हो चुका है और काले झंडे दिखाए जा चुके हैं। लेकिन सरकार ने अब तक इसे वापस नहीं लिया है इसलिए किसान भाई इसके विरुद्ध पहली बार कुरुक्षेत्र में रैली करने जा रहे हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का तर्क
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि इन दो नए अध्यादेशों के फलस्वरूप ही किसान अब अपनी फसल को मनचाही कीमत पर बेच सकते हैं। उन्हें किस स्थान पर अपनी फसल बेचनी है, इसका निर्णय लेने के लिए भी किसान स्वतंत्र हैं। इन अध्यादेशों से उपज की बिक्री व लाभ या हानि के संबंध में किसानों के भय को भी दूर किया गया है। खेती क्षेत्र को सम्पूर्ण रूप से इन अध्यादेशों का लाभ ही मिलेगा।
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