हरियाणा कांग्रेस की इंटरनल रिपोर्ट में दावा, 8 सीटों पर मजबूत स्थिति में पार्टी; मची सियासी हलचल

चंडीगढ़ | हरियाणा में सभी 10 लोकसभा सीटों पर मतदान के बाद 4 जून को मतगणना का काम किया जाएगा. मतदान के बाद से ही तमाम राजनीतिक पार्टियां अपने- अपने हक में परिणाम आने के दावे कर रही है. BJP के बाद कांग्रेस की इंटरनल रिपोर्ट काफी चौंकाने वाली आई है. पार्टी मान के चल रही है कि चार सीटों पर जीत तय है. 2 सीटों पर हार का सामना करना पड़ सकता है.

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‘आप’ के गठबंधन वाली कुरुक्षेत्र सीट पर भी रिपोर्ट अच्छी मानी जा रही है. रिपोर्ट के अनुसार भाजपा, इंडी गठबंधन और INLD में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है.

भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा भी ले चुके हैं विधायकों से फीडबैक

जानकारी मिली है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा भी पार्टी के MLA से फीडबैक ले चुके हैं. कांग्रेस के 30 विधायकों ने सभी 10 सीटों पर कड़ी टक्कर मिलने की संभावना जताई है. उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में बढे वोटिंग प्रतिशत से शहरों के मुकाबले कांग्रेस को बड़ी बढ़त मिलने की फीडबैक दी है. उसके बाद, पूर्व सीएम हुड्‌डा का कहना है कि हरियाणा में गठबंधन सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करेगा.

जीतने वाली 4 सीटों की इंटरनल रिपोर्ट में है ये दावे

रोहतक : इस लोक सभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा कांग्रेस की तरफ से वहीं बीजेपी तरफ से डॉक्टर अरविंद शर्मा को टिकट मिली थी. अबकि बार यहां 65.68% मतदान हुआ, जो 2019 के मुकाबले 4.83% कम रहा. यहां पर जाटों और किसानों के विरोध का बीजेपी को नुकसान होने की बात कही गई है. बता दें कि इस सीट से दीपेंद्र हुड्डा 3 बार सांसद रह चुके हैं. साल 2014 में नरेंद्र मोदी की लहर के बावजूद भी दीपेंद्र हुड्डा यहां से सीट निकालने में कामयाब रहे थे. कांग्रेस की रिपोर्ट में इस सीट को सबसे अच्छे अंक मिले हैं.

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सिरसा : यहां भी 2019 के मुकाबले 6.21% कम वोटिंग देखने को मिली है. कांग्रेस की तरफ से पहले भी 2 बार सांसद रह चुकी कुमारी सैलजा और बीजेपी की तरफ से अशोक तंवर को कमान दी गई थी. कांग्रेस के लिए मजबूत पक्ष यहां यह भी है कि सैलजा के पिता चौधरी दलवीर सिंह सिरसा में पार्टी के बड़े नेता माने जाते थे. पार्टी की इंटरनल रिपोर्ट में दावा किया गया कि किसानों और जाटों ने एकजुट होकर पार्टी कैंडिडेट के पक्ष में वोटिंग की बात कही है. अशोक तंवर का बार- बार पार्टी बदलना लोगों को पसंद नहीं आया. किसानों ने भी प्रचार के दौरान उनका विरोध किया था.

सोनीपत : यहां से कांग्रेस की तरफ से जींद के गांगोली गांव के रहने सतपाल ब्रह्मचारी तथा भाजपा की तरफ से सीटिंग एमपी रमेश चंद्र कौशिक का टिकट काट कर विधायक विधायक मोहन लाल बड़ौली को टिकट दी गई थी. कांग्रेस उम्मीदवार सतपाल ब्रह्मचारी सन्यासी हैं और हरिद्वार में उनके आश्रम है. इन चुनाव में उनको फायदा मिलने की संभावना बताई गई है. इनके लिए अच्छा फैक्टर ये रहा कि जींद जिले से पहली बार किसी बड़े दल ने अपना उम्मीदवार चुना है. इसका इन्हें चुनाव में फायदा मिला है. साथ ही, जाट बाहुल्य इस क्षेत्र में जाटों द्वारा भाजपा का पहले ही विरोध किया जा रहा था, इसके अतिरिक्त भाजपा को भीतरघात का भी नुकसान देखने को मिल सकता है.

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भिवानी- महेंद्रगढ़ : कांग्रेस की तरफ से यहां से राव दान सिंह को जबकि भाजपा की तरफ से सीटिंग सांसद धर्मवीर सिंह को टिकट दी गई थी. 15 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि यहां मतदान सबसे कम हुआ. कांग्रेस इसे पॉजिटिव मान कर चल रही है. कांग्रेस की इंटरनल रिपोर्ट में बताया गया कि कांग्रेस उम्मीदवार की विधानसभा में सबसे ज्यादा मतदान हुआ है, जबकि नांगल चौधरी में सरकार में राज्य मंत्री डॉ. अभय सिंह भाजपा विधायक के एरिया में सबसे कम वोटिंग देखने को मिली है. इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों से वोटिंग प्रतिशत बढ़ना कांग्रेस के पक्ष में बताया जा रहा है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बीजेपी कैंडिडेट हार को देखते हुए घर बैठ गए हैं. अपने पास चुनाव के लिए पैसा न होने की बात उन्होंने चुनाव प्रबंधन समिति तक को बता दी थी.

इन 2 सीटों पर मिल सकती है हार

करनाल : यहां से पार्टी निराशा हाथ लगती महसूस हो रही है. यहां से बीजेपी की तरफ से सबसे मजबूत कैंडिडेट मनोहर लाल खट्टर को उम्मीदवार बनाया गया था, जबकि कांग्रेस की तरफ से दिव्यांशु बुद्धि राजा एक नया चेहरा थे. रिपोर्ट बताती हैं कि अगर यहां से किसी और कैंडिडेट को उतारा जाता तो शायद बीजेपी से टक्कर की स्थिति बन सकती थी. यहां पर बीजेपी की जीत का मार्जिन 2 लाख से अधिक वोटो का हो सकता है.

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गुरुग्राम : यहां से 5 बार सांसद रह चुके राव इंद्रजीत सिंह को बीजेपी की तरफ से टिकट दी गई थी. वहीं, कांग्रेस की तरफ से फिल्म अभिनेता राज बब्बर को उम्मीदवार बनाया था. राव इंद्रजीत का केंद्र सरकार में मंत्री रहना. साथ ही, लोगों के बीच सक्रिय रहना उनके पक्ष में रहा. राज बब्बर एक नया चेहरा थे. पार्टी नेताओं का भी उन्हें प्रचार के दौरान साथ नहीं मिल पाया. किसी भी बड़े नेता ने उनके पक्ष में कोई रैली नहीं की. यही कारण है कि कांग्रेस ने इस सीट को हार की लिस्ट में डाल दिया.

अंबाला, हिसार और फरीदाबाद में है कड़ा मुकाबला

  • कांग्रेस की इंटरनल रिपोर्ट में तीन सीटों पर कड़ी टक्कर मिलती बताई गई है. इनमें अंबाला, हिसार और फरीदाबाद शामिल हैं. अंबाला में पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत राम रतन कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया भाजपा की तरफ से तथा वरुण मुलाना कांग्रेस की तरफ से मैदान में हैं. बीजेपी का ग्रामीण क्षेत्रों में विरोध होने के कारण इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी उम्मीदवार के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है.
  • हिसार में कांग्रेस उम्मीदवार जेपी को BJP, आईएनएलडी और जेपी से कड़ा मुकाबला मिलता नजर आ रहा है. रिपोर्ट में कांग्रेस को यहां पर नुकसान मिलता बताया गया है. पार्टी की तरफ से यहां चुनाव प्रचार काफी कमजोर रहा.
  • ऐसा ही कुछ हल फरीदाबाद सीट का रहा. यहां से बीजेपी की तरफ से मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर और कांग्रेस से महेंद्र प्रताप चुनाव मैदान में थे. यहां भाजपा का पलड़ा ज्यादा भारी नजर आ रहा है.
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