चंडीगढ़ | हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए लोकसभा चुनावों के नतीजे संतोषजनक नहीं रहें हैं. 2019 की तरह सभी 10 लोकसभा सीट पर जीत का दावा करने वाली बीजेपी इस बार आधे यानि 5 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई है. चुनाव का केंद्र बिंदु रहें पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और सीएम नायब सैनी की जोड़ी भी पार्टी को नुक़सान से बचाने में कामयाब नहीं रही.
लोकसभा चुनावों का परिणाम घोषित होने के बाद चर्चा है कि चुनाव का शेड्यूल जारी होने से ठीक पहले बीजेपी द्वारा मनोहर लाल खट्टर को बदलकर नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाना पार्टी के लिए ‘सेल्फ गोल’ साबित हुआ है, लेकिन राजनीतिक जानकार इसे बीजेपी के लिए अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने के रुप में देख रहे हैं.
BJP के वोट शेयर में गिरावट
2019 के लोकसभा चुनावों में 58% वोट हासिल करने वाली बीजेपी को इस बार के चुनाव में 46.06% वोट हासिल हुए हैं. यानि पिछले पांच साल में पार्टी के वोट शेयर में 11.06% की गिरावट दर्ज हुई है. वहीं, 2019 के लोकसभा चुनावों में सिर्फ 28.42% वोट हासिल करने वाली कांग्रेस पार्टी को इस बार के चुनाव में 43.73% वोट मिला है. यानि पार्टी के वोट शेयर में 15.31% वोटों की बढ़ोतरी हुई है.
पार्टी को भितरघात से नुकसान
हरियाणा के लोकसभा चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और सीएम नायब सैनी की जोड़ी ने लोकल स्टार प्रचारक के रूप में काम किया था, लेकिन चुनाव परिणाम में 60 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा है. खट्टर ने 58 तो वहीं सीएम नायब सैनी ने 32 विधानसभा क्षेत्रों में विजय संकल्प रैली में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की थी.
इसके अलावा, अंबाला, सिरसा, हिसार और सोनीपत में भितरघात करने वाले नेताओं ने पार्टी को बड़ा नुक़सान पहुंचाया है. इस संबंध में सीएम नायब सैनी स्पष्ट कर चुके हैं कि इन बागियों की रिपोर्ट दिल्ली हाईकमान के पास भेजी जाएगी.
समय का अभाव
हरियाणा में इसी साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. लोकसभा चुनावों में उम्मीद के अनुरूप दिखें परिणामों का सीधा असर विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा. ऐसे में मुख्यमंत्री नायब सैनी के पास इस नैरेटिव को बदलने के लिए सिर्फ 3 महीने का समय बचा हुआ है.
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!