चंडीगढ़ | रोहतक लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी दीपेंद्र हुड्डा (Deepender Hooda) की जीत के साथ ही हरियाणा में खाली हुई एक राज्यसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है. सीट खाली होने पर 6 महीने के भीतर उपचुनाव करवाना जरूरी होता है. सूबे में इसी साल अक्टूबर महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं तो ऐसे में चुनाव आयोग उससे पहले ही इस सीट पर चुनाव प्रक्रिया को पूरा करवाएगा.
वहीं, इस राज्यसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां जीत का दावा करने लगी है. मौजूदा दलीय स्थिति को देखते हुए बीजेपी की इस सीट पर जीत की संभावना मजबूत जताई जा रही है, तो वहीं कांग्रेस को जजपा और इनेलो का साथ मिला तो भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी होना लाजमी है.
इसलिए सांसद बनते ही रिक्त हो गई सीट
कानूनी विश्लेषक हेमंत कुमार का कहना है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (RP Act), 1951 की धारा 69 (2) के तहत यदि कोई व्यक्ति जो पहले से राज्यसभा का सदस्य है और वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित हो जाता है तो राज्यसभा में उस व्यक्ति की सीट सांसद चुने जाने की तारीख से ही खाली हो जाती है. इसलिए 4 जून से ही दीपेंद्र हुड्डा हरियाणा से राज्यसभा के सदस्य नहीं रहे हैं.
हालांकि, उनका कार्यकाल अप्रैल, 2026 तक था. ऐसे में इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया देश के विभिन्न राज्यों में रिक्त हुई उन सभी राज्यसभा सीटों पर उपचुनाव कराएगा, जहां- जहां से मौजूदा राज्यसभा सांसद लोकसभा चुनाव जीते हैं.
बीजेपी की जीत की कुछ प्रमुख वजह
- हरियाणा में सत्तासीन बीजेपी 41 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. एक निर्दलीय विधायक और हलोपा से गोपाल कांडा के समर्थन के बाद यह संख्या 43 हो जाती है.
- वहीं, JJP के दो बागी विधायक जोगीराम सिहाग और रामनिवास सुरजाखेड़ा लोकसभा चुनाव में खुलकर बीजेपी का समर्थन कर चुके हैं. इसके अलावा, तीन और जजपा विधायक भाजपा के सम्पर्क में हैं, जो उनका राज्यसभा सीट पर जीत का दावा मजबूत करने की दूसरी सबसे बड़ी वजह है.
- दूसरे दलों के कई विधायक सीएम नायब सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सम्पर्क में हैं. ऐसे में राज्यसभा सांसद के लिए होने वाली वोटिंग में सेंधमारी का फायदा भाजपा कैंडिडेट को मिल सकता है.
कांग्रेस के मजबूत दावे की एकमात्र बड़ी वजह
राज्यसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी की जीत का दावा मजबूत होने की एकमात्र बड़ी वजह JJP, INLD और निर्दलीय विधायकों का साथ आना रहेगा. कांग्रेस के 29 विधायक, जजपा के 10, इनेलो से अभय चौटाला और 4 निर्दलीय विधायकों के समर्थन से विधानसभा में विपक्षी दल कांग्रेस के पास कुल 44 विधायक होंगे, जो सत्ताधारी बीजेपी से एक ज्यादा है.
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