चंडीगढ़ | हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hodda) की सरकार जाने से से ठीक पहले साल 2014 की पालिसी के तहत जो कर्मचारी पक्के हुए थे उन कर्मचारियों को सरकार ने राहत दी है. हुड्डा सरकार ने वर्ष 2014 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने के लिए 3 पालिसी बनाईं थी. पहली पालिसी 18 जून 2014 को बनाई गई, जिसमें 3 साल पूरे करने वाले लगभग 5 हजार कर्मचारियों को पक्का किया गया.
2016 में आदेश हुए थे जारी
जुलाई में फिर से नई नियमितीकरण पालिसी बनाते हुए 31 दिसंबर 2018 तक दस साल पूरे करने वाले कर्मचारियों को नियमित किया गया. इसके बाद, मामला हाई कोर्ट में जा पहुंचा. जून 2018 में हाई कोर्ट ने वर्ष 2014 की नियमितीकरण पालिसी पर रोक लगाते हुए वर्ष 2016 में पक्के हुए पांच हजार कर्मचारियों के साथ ही कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे दूसरे सभी कर्मचारियों को हटाने के आदेश जारी कर दिए थे. जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस सुदीप आहलूवालिया की खंडपीठ ने सोनीपत निवासी योगेश त्यागी व अन्य की याचिकाओं को सही माना है.
2020 में लगा दी गई थी पदोन्नति पर रोक
इन याचिकाओं में तर्क दिया गया कि कच्चे कर्मचारियों की नियुक्ति करते हुए किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया. इन कर्मियों को नियमित करने का निर्णय सीधे तौर पर बैकडोर एंट्री है. बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया, जहाँ पर 26 नवंबर 2018 को यथास्थिति बनाए रखने क़े आदेश जारी कर दिए. सरकार ने 18 जून 2020 को इन पदोन्नति पर रोक लगा दी थी. बीती छह फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न जनहित याचिकाओं को जोड़कर अंतरिम आदेश दिए थे कि 2014 की पालिसी के तहत नियमित किए गए कर्मचारियों की पदोन्नतियां कर दी जाएं.
5000 कर्मचारियों के प्रमोशन का रास्ता साफ
आपको बता दें कि इन सभी की पदोन्नतियों से रोक हट चुकी है. ऐसे में लगभग पांच हजार कर्मचारियों की पदोन्नति का रास्ता क्लियर हो गया है. हालांकि, यह प्रमोशन सुप्रीम कोर्ट के फाइनल फैसले पर निर्भर होंगे. मुख्य सचिव के अधीनस्थ मानव संसाधन विभाग ने इस बारे में निर्देश जारी कर दिए हैं. यह पदोन्नतियां मौजूदा अपीलों के परिणाम के अधीन की जाएगी. अब सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को अमलीजामा पहनाते हुए सरकार ने निर्णय से प्रभावित कर्मचारियों क़े प्रमोशन पर लगी हुई रोक को हटा दिया है.
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