हरियाणा में राज्यसभा चुनाव को लेकर बढ़ी राजनीतिक सरगर्मियां, BJP और कांग्रेस दोनों को ही क्रॉस वोटिंग का डर

चंडीगढ़ | हरियाणा की एकमात्र राज्यसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है. सत्ताधारी BJP और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस दोनों को ही क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) में टूट को माना जा रहा है. लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा में भी सदस्यों के गुणा- गणित में बदलाव आया हैं और इसको लेकर बीजेपी व कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में हलचल मची हुई है.

BJP Vs Congress INC

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि JJP के कई विधायक पार्टी छोड़ सकते हैं और राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं. ये विधायक आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी या कांग्रेस से टिकट की मांग कर सकते हैं. ऐसे में हरियाणा का ये चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है क्योंकि अभी तक इस चुनाव को लेकर तस्वीर साफ नहीं है.

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कांग्रेस के लिए फिर से जीतना चुनौती

दीपेंद्र हुड्डा के रोहतक लोकसभा सीट से सांसद बनने पर उनकी राज्यसभा सीट खाली हो गई है. भले ही इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा था लेकिन दोबारा इस सीट पर जीत हासिल करना कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण रहने वाला है. JJP विधायक और निर्दलीय किसी को भी वोट कर सकते हैं. वहीं, मुलाना हल्के से कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी के अंबाला लोकसभा सीट से सांसद बनने पर कांग्रेस के विधायकों की संख्या 30 से घटकर 29 रह गई है.

बीजेपी के लिए भी चुनौती

वर्तमान समय में बीजेपी के पास सीएम नायब सैनी के करनाल विधानसभा उपचुनाव जीतने के बाद विधायकों की संख्या का आंकड़ा 41 है, लेकिन JJP, निर्दलीय और एकल सदस्य वाली पार्टियों के विधायक क्रॉस वोटिंग करते हैं, तो रिजल्ट कुछ भी हो सकता है. इसे लेकर बीजेपी खेमा भी चिंतित दिखाई दे रहा है.

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क्रॉस वोटिंग से नहीं जाएगी सदस्यता

राज्यसभा चुनाव में ओपन बैलेट सिस्टम है. राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के कारण किसी विधायक को विधानसभा से अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है. इसकी वजह सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला है.

सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2006 को कुलदीप नैयर बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में अपने फैसले में कहा था कि यह तर्क है कि राज्यसभा के लिए चुनाव में मतदाता के अभिव्यक्ति के अधिकार पर खुले मतदान से असर पड़ता है, मान्य नहीं है, क्योंकि एक निर्वाचित विधायक को किसी विशेष तरीके से मतदान करने के लिए सदन की सदस्यता से अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा. वह अधिक से अधिक जिस दल से संबंधित है, उस राजनीतिक दल की ओर से की जाने वाली कार्रवाई का सामना कर सकता है.

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हरियाणा विधानसभा की मौजूदा स्थिति

हरियाणा विधानसभा की मौजूदा स्थिति की बात करें तो बीजेपी के पास 41 विधायक हैं और एक निर्दलीय तथा एक हलोपा विधायक गोपाल कांडा का समर्थन सरकार को प्राप्त है. ऐसे में यह संख्या बढ़कर 43 हो जाती है. वहीं, विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस के 29, जजपा के 10, चार निर्दलीय और एक इनेलो विधायक अभय चौटाला साथ आते हैं तो यह संख्या 44 बैठती है. अगर पूरा विपक्ष एकमत होकर वोटिंग करता हैं तो राज्यसभा सीट बीजेपी के हाथ से जाना भी संभव है और मौजूदा नायब सैनी सरकार भी अल्पमत में आ जाएगी.

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