नई दिल्ली | प्राइवेट नौकरी करने वाले लोगों के लिए एक जरूरी खबर सामने आई है. बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने हाल ही में कर्मचारी पेंशन योजना (EPS), 1995 में संशोधन किया है. इस बदलाव के तहत, अब उन कर्मचारियों को भी EPS से विदड्रॉल का लाभ मिलेगा, जिन्होंने 6 महीने से कम समय के लिए इसमें योगदान दिया है यानि कि जिन्होंने 6 महीने से कम समय तक नौकरी की है.
इस संशोधन से हर साल कर्मचारी पेंशन योजना के 7 लाख से ज्यादा ऐसे मेंबर्स को लाभ पहुंचेगा, जो 6 महीने से कम अंशदाई सेवा के बाद योजना छोड़ देते हैं.
EPS में कर्मचारी का योगदान
बता दें कि प्राइवेट सेक्टर में संगठित क्षेत्र के तहत काम करने वाले कर्मचारी भी रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन पा सकें. इसके लिए कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 (EPS) को शुरू किया गया था. EPF स्कीम 1952 के तहत, कर्मचारी के EPF यानि कि एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड में कर्मचारी की ओर से योगदान 12 % होता है.
कर्मचारी की ओर से किए जाने वाले 12 प्रतिशत योगदान में से 8.33% EPS में जाता है, जबकि बाकी हिस्से में से EPF में 3.67 प्रतिशत और EDLI में 0.50 प्रतिशत जाता है. कर्मचारी 58 साल की आयु में पहुंचने पर EPS के पैसे से मासिक पेंशन पा सकता है. कर्मचारी के पेंशन अकाउंट में सरकार की ओर से भी योगदान रहता है.
परिवार को भी मिलता है लाभ
याद रहे कि एक कर्मचारी की EPS में अधिकतम मासिक योगदान 1,250 रुपये तय है. EPS की एक खासियत यह है कि इसका फायदा केवल कर्मचारी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अगर किसी कारण से EPF मेंबर की मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार यानि पत्नी और बच्चों को भी ‘फैमिली पेंशन’ के तौर पर पेंशन का लाभ मिलता है.
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