रेवाड़ी | हरियाणा में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है. प्रदेश के बड़े विधानसभा क्षेत्रों में शुमार कोसली में कांग्रेस की टिकट को लेकर तीन चुनावों में कोई घमासान नहीं रहा था और राव यादुवेंद्र इस सीट पर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के आशीर्वाद से निर्विवाद रूप से लगातार 3 चुनावों में प्रत्याशी बने. 3 में से 2 चुनाव में हार का सामना करने वाले यादुवेंद्र के लिए इस हल्के से इस बार टिकट का रास्ता लगभग बंद नजर आने लगा है.
कांग्रेस की टिकट से 3 दावेदार
भुपेंद्र हुड्डा के जरिए कांग्रेस ज्वाइन कर चुके पूर्व मंत्री जगदीश यादव और अनिल पाल्हावास ने टिकट की दौड़ में यादुवेंद्र को पीछे छोड़ दिया है. जगदीश के लिए टिकट की राह में अनिल पाल्हावास को बड़ी चुनौती माना जा रहा है.
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के छोटे भाई राव यादुवेंद्र सिंह ने बड़े भाई की बदौलत 2014 में जाटूसाना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता था. विधायक बनने के बाद हुड्डा और राव के बीच राजनीतिक मतभेदों के चलते यादुवेंद्र भाई का साथ छोड़कर तत्कालीन सीएम हुड्डा के खेमे में शामिल हो गए थे.
यादुवेंद्र की हल्के से निष्क्रियता से दीपेंद्र हुड्डा ने झेली हार
हुड्डा ने उन्हें साल 2009 के चुनाव में टिकट दिलाई, तो यादुवेंद्र को दूसरी बार विधायक बनने का मौका मिला. उन्हें कांग्रेस ने हुड्डा की बदौलत साल 2014 और 2019 के चुनाव में भी टिकट दी, परंतु वह दोनों चुनाव हार गए. चुनाव जीतने के बाद हल्के के लोगों से लगातार दूरी बनाए रखना यादुवेंद्र की सबसे बड़ी कमजोरी माना जा रहा है.
साल 2019 के लोकसभा चुनावों में इस हल्के से दीपेंद्र सिंह हुड्डा की बड़ी हार के पीछे भी यादुवेंद्र की हल्के में निष्क्रियता को बड़ा कारण माना गया था. पूर्व मंत्री जगदीश यादव और रामपुरा हाउस के बीच कभी पटरी नहीं बैठी. उनकी राजनीति रामपुरा हाउस के विरोध पर टिकी रही, जिस कारण रामपुरा हाउस की ओर से उनकी हार सुनिश्चित करने पर हर चुनाव में पूरा जोर लगाया गया. पहली बार ऐसा हो रहा है, जब जगदीश और यादुवेंद्र मंच साझा करते हुए नजर आ रहे हैं.
दीपेंद्र की जीत के लिए जगदीश की एंट्री
जगदीश यादव का कोसली हलके में अपना अच्छा जनाधार रहा है. जाटूसाना से एक बार हविपा की टिकट पर विधायक बनने के बाद उन्हें अभी तक दूसरी बार विधायक बनने का मौका नहीं मिला है. साल 2019 के चुनावों से पहले उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली थी, लेकिन टिकट के आश्वासन पर हुड्डा ने कोसली में दीपेंद्र को लोकसभा चुनाव जिताने के लिए जगदीश को कांग्रेस ज्वाइन करा दी थी. दीपेंद्र की जीत के बाद जगदीश यादव विधानसभा चुनावों में हुड्डा के जरिए टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं.
अनिल के लिए सामने नहीं आएगा विरोध
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के खास समर्थक रहे अनिल पाल्हावास ने लोकसभा चुनावों से ठीक पहले हुड्डा खेमे से कांग्रेस ज्वाइन करते हुए सभी को चौंका दिया था. उन्होंने दीपेंद्र की कोसली विधानसभा सीट से जीत सुनिश्चित कराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी. अगर कांग्रेस जगदीश को टिकट देती है, तो रामपुरा हाउस का विरोध उनके सामने एक बार फिर चुनौती बना रहेगा. इसके विपरीत, अनिल को टिकट देकर मैदान में उतारा जाता है, तो राव समर्थक पुराने साथी का विरोध नहीं करेंगे.
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