चंडीगढ़ | राजधानी चंडीगढ़ में काफी दूर- दूर से लोग घूमने के लिए आते हैं. कई बार इनमें विदेशी पर्यटक भी शामिल होते हैं. यहां स्थित रॉक गार्डन सैलानियों में काफी प्रसिद्ध है. हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट की मानें तो इसका निर्माण इंडस्ट्रियल और शहरी अपशिष्ट पदार्थ से किया गया था. एक अनुमान के अनुसार, वर्तमान में हर दिन इस गार्डन से प्रदेश प्रशासन को 1 लाख रूपए की आमदनी होती है.
फिल्मों की शूटिंग से भी होती है कमाई
यहां पर अक्सर फिल्मों की शूटिंग होती है. मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इससे रॉक गार्डन को लगभग 80 लाख रुपए हर महीने की कमाई होती है. इस तरह कुल मिलाकर यह प्रदेश का एक फायदेमंद पर्यटन स्थल है. अब इसकी कायापलट के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 20 करोड रुपए की राशि खर्च करने की घोषणा की गई है.
इन कामों से होगी कायापलट
बता दें कि हाल ही में राजधानी के रॉक गार्डन फेज 3 में केंद्र शासित प्रदेश की सचिव (पर्यटन) हरगुंजीत कौर की इंजीनियरिंग व पर्यटन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक हुई थी, जिसमें रॉक गार्डन में नया दरवाजा बनाए जाने का प्रस्ताव दिया गया था. इसके अलावा, पुनरोद्धार योजना के तहत यहां रॉक कैफे, डॉल म्यूजियम को फेस 3 तक बढ़ाए जाने, अंदरूनी हिस्से में रास्ते का निर्माण करने, कंक्रीट से बने बैठने की जगह को बढ़ाने, कुछ और मूर्तियों का निर्माण करने, कैशलेस टिकट व्यवस्था का इंतजाम करने संबंधित मुद्दों का प्रस्ताव दिया गया. इसके अतिरिक्त, शनिवार और रविवार को विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करने और फेस 3 के तहत शौचालय की संख्या बढ़ाने पर भी फैसला लिया गया.
1 साल में पूरा होगा काम
बैठक में मौजूद इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस साल के अंत तक पुनरोद्धार का कार्यक्रम शुरू करके उसे अगले 1 साल के अंदर पूरा कर लिया जाएगा. हालांकि, मंत्रालय द्वारा रुपए आवंटित करने पर भी यह काम निर्भर करेगा. इसी विषय में जानकारी देते हुए वरिष्ठ आर्किटेक्चर सुरेंद्र बहगा ने बताया कि इसका डिजाइन तैयार करने वाले नेक चंद की साल 2015 में मृत्यु होने के बाद प्रशासन मूर्तियों की देखभाल करने में असफल रहा, जिससे इसे बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचा.
बता दें कि पर्यटन विभाग के अधीन आने वाले रॉक गार्डन की देखभाल की जिम्मेदारी इंजीनियरिंग विभाग पर है. समय बीतने के साथ ही इसकी कई मूर्तियों को नुकसान पहुंचा है. हालांकि, इंजीनियरिंग विभाग द्वारा इन मूर्तियों की मरम्मत करने की कोशिश की गई थी, लेकिन वह भी सफल नहीं हो पाई.
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