चंडीगढ़ | साल 2014 से 2016 के बीच हरियाणा के सरकारी स्कूलों में हुए 4 लाख फर्जी दाखिलों के मामले में CBI ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. इन फर्जी दाखिलों की आड़ में 300 करोड़ रुपये से अधिक का फर्जीवाड़ा सामने आया है. प्राथमिक जांच में प्रदेश के करीब 11 हजार मिड- डे- मील इंचार्ज सहित प्राथमिक शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) का रिकॉर्ड तलब किया गया है.
सीबीआई ने दर्ज किए केस
CBI ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से पत्राचार कर वर्ष 2014 से 2018 तक संबंधित जिलों में तैनात बीईओ, बीईईओ और स्कूलों में मिड- डे मील इंचार्ज का डाटा मांगा था, लेकिन शनिवार तक आधे से अधिक जिलों का डाटा निदेशालय के पास नहीं पहुंचा है. गौरतलब है कि बीती 18 जुलाई को सीबीआई ने हाईकोर्ट के दिशा- निर्देशानुसार सरकारी स्कूलों में हुए 4 लाख फर्जी दाखिलों के मामले में IPC 167, 218, 409, 418, 420, 477-A, 120-B और धारा 13(1) (C), 13(1) (D) (2), 13(2) एक्ट 1988 के तहत चार अन्य नई FIR दर्ज की है.
इस मामले में सीबीआई ने केस दर्ज करने के साथ ही शिक्षा निदेशालय पंचकूला को पत्र लिखकर वर्ष 2014 से 2016 तक सरकारी स्कूलों में आए मिड- डे मील और बच्चों के लिए आने वाले वर्दी, बेंच अन्य सभी प्रकार के फंडों का भी रिकॉर्ड तलब किया है.
शिक्षा अधिकारियों से मांगा रिकॉर्ड
सीबीआई से आए पत्र के बाद शिक्षा निदेशालय ने कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, पंचकूला, यमुनानगर, फरीदाबाद, गुरुग्राम, नूंह, मेवात और अंबाला सहित अन्य जिलों के शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर वर्ष 2014 से 2018 तक का रिकॉर्ड 24 घंटे के भीतर निदेशालय को भेजने के लिए पत्र जारी किया था, लेकिन रिकॉर्ड नहीं पहुंचा, जिसे सीबीआई को सौंपा जा सकें. हालांकि, कुछ जिलों का रिकॉर्ड निदेशालय के पास आ चुका है.
हालांकि, विजिलेंस टीम ने जांच के दौरान झज्जर और सोनीपत जिले को क्लीन चिट दी है. वहीं, सबसे अधिक फर्जी दाखिले करनाल रेंज में सामने आए थे, जिसमें करनाल और पानीपत का नाम शामिल था. जांच में दोनों जिलों को क्लीन चिट पहले ही मिल चुकी है, लेकिन सीबीआई ने फिर से इन दोनों जिलों का रिकॉर्ड भी तलब किया है.
मिड- डे मील में 170 करोड़ का फंड हुआ था जारी
सूत्रों के मुताबिक, प्रत्येक सरकारी स्कूलों में 30 बच्चों पर एक शिक्षक को बतौर मिड- डे मील इंचार्ज नियुक्त किया जाता है. इस कार्यकाल में स्कूलों में करीब 11 हजार शिक्षक मिड- डे मील इंचार्ज लगाए गए थे. इनमें कुछ टीचर रेगुलर थे तो कुछेक गेस्ट टीचर भी है. वर्ष 2014 से 2016 के बीच करीब 170 करोड़ रुपये के फंड का दुरुपयोग हुआ, जबकि बच्चों को मिलने वाली स्कॉलरशिप और वर्दी फंड में भी गड़बड़झाला हुआ था. निदेशालय सूत्रों के मुताबिक़ करीब 300 करोड़ रूपए का फंड इन सब कार्यों के लिए जारी हुआ था.
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