हरियाणा में राहुल गांधी खेल सकते हैं मास्टरस्ट्रोक, BJP के पिछड़ी जाति के मुख्यमंत्री को मिलेगी चुनौती

चंडीगढ़ | लोकसभा चुनावों में 5 सीटों पर जीत दर्ज करने से उत्साहित नजर आ रही हरियाणा कांग्रेस पार्टी (Haryana Congress) यहां इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने की प्रबल दावेदार मानी जा रही है, लेकिन हरियाणा कांग्रेस की सबसे बड़ी दिक्कत आपसी गुटबाजी है जो पार्टी का डिब्बा गोल कर सकती हैं. गुटबाजी का आलम यह है कि विधानसभा चुनाव बिल्कुल सिर पर है और राज्य में 2 राजनीतिक यात्राएं निकली हुई हैं. दोनों यात्राओं में कही से भी कोई कम्युनिकेशन नहीं दिख रहा है.

Rahul Gandhi

CM कुर्सी को लेकर घमासान

एक यात्रा पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा निकाल रहें हैं, जिसमें उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा को सीएम कुर्सी का उम्मीदवार बताया जा रहा है तो वहीं दूसरी यात्रा दलित नेता एवं सांसद कुमारी शैलजा के नेतृत्व में निकाली जा रही है, जिसमें शैलजा खुद को प्रदेश का भावी मुख्यमंत्री बता रही हैं.

कांग्रेस हाईकमान की पैनी नजर

हरियाणा कांग्रेस की इस गुटबाजी पर हाईकमान की पैनी नजर बनी हुई है और यहां पार्टी के पक्ष में जो माहौल बना हुआ है, उसे किसी भी सूरत में केंद्रीय नेतृत्व गंवाना नहीं चाहता है. हरियाणा के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी इस माहौल को भुनाने के लिए यहां किसी दलित चेहरे को मुख्यमंत्री घोषित कर सकती हैं. हो सकता है ये चेहरा कुमारी शैलजा हो या फिर कोई और लेकिन केंद्रीय नेतृत्व का यह मास्टरस्ट्रोक कई मायनों में फायदेमंद साबित हो सकता है.

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मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है ये दांव

यदि हरियाणा में कांग्रेस दलित चेहरे को सीएम प्रोजेक्ट करती है, तो राहुल गांधी की उन बातों को वजन मिलेगा, जिसमें वो दलित समाज के लिए बार-बार हमदर्दी जताते रहे हैं. संविधान बचाओ, बजट निर्माण के दौरान हलवा सेरेमनी में दलित और पिछड़े अधिकारियों को शामिल नहीं करने की बात और जातिगत जनगणना की बात को दोहराना. उनके हर भाषण में दलितों और कमजोर वर्गों के हितों की बात होती है. ऐसे में यह फैसला आम लोगों के भरोसे को और पुख्ता करेगा.

दलित वोट एकमुश्त मिलने की संभावना

हरियाणा में 19% दलित वोटर्स को साधने के लिए दलित चेहरे को सीएम प्रोजेक्ट करने का फैसला कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकता है. यहां 90 में से 17 विधानसभा सीटें रिजर्व है. जाहिर है किसी दलित चेहरे को सीएम प्रोजेक्ट करने से प्रदेश में दलितों का वोट एकमुश्त मिलने की संभावना बढ़ जाएगी. दलित समाज से चौधरी उदयभान को हरियाणा कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनाकर कांग्रेस हाईकमान दलितों को लुभाने का एक कदम पहले ही चल चुकी है.

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हाईकमान की चुप्पी से हैरानी

वहीं, कांग्रेस हाईकमान की कुमारी शैलजा की यात्रा को लेकर चुप्पी साधने पर हर कोई हैरान हो रहा है. हरियाणा की राजनीति का अनुभव रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार अजय दीप लाठर का कहना है कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि कांग्रेस हाईकमान कुमारी शैलजा को सीएम का चेहरा घोषित कर दें. बेदाग छवि और उनका महिला होना उनके पक्ष में जा रहा है. सोनिया गांधी से उनकी नजदीकियां जगजाहिर है.

बीजेपी को हराने के पक्ष में जाट वोटर्स

वहीं, जाट वोटर्स इस समय सिर्फ BJP को हारते हुए देखना चाहते हैं. इसके लिए वो कुमारी शैलजा को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में स्वीकार करने से भी गुरेज नहीं करेंगे. लोकसभा चुनावों में जाट और दलित वोटर्स की एकजुटता ने ही बीजेपी को 5 सीटों पर हार का मुंह दिखाया था और जो 5 सीटें बीजेपी ने जीती भी है, उन पर मार्जिन बेहद कम रहा है.

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गड़े मुर्दे उखाड़ना नहीं चाहती कांग्रेस

पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा पर ईडी और CBI के केस दर्ज है. इसलिए उनको कभी भी जेल की हवा खानी पड़ सकती है. दूसरा हुड्डा की नजदीकियां राबर्ट वाड्रा से रही है. हुड्डा के चलते ही वाड्रा का नाम कई मामलों में घसीटा जा रहा है. ऐसे में कांग्रेस कभी नहीं चाहेगी कि अब फिर से पुराने गड़े मुर्दे उखाड़े जाएं.

हालांकि, भुपेंद्र हुड्डा इन्हीं सब बातों के चलते अपने नाम की बजाय मुख्यमंत्री उम्मीदवार के लिए बेटे दीपेंद्र हुड्डा का नाम आगे कर रहे हैं, लेकिन हरियाणा कांग्रेस में भुपेंद्र हुड्डा के नाम पर एक बार सभी सहमत हो भी सकतें हैं. उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा के लिए सभी गुट कभी भी सहमत नहीं होंगे.

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