स्पोर्ट्स डेस्क | स्वतंत्रता दिवस यानि 15 अगस्त के अवसर पर करोड़ों देशवासियों के लिए मायूसी भरी खबर सामने आई है. पेरिस ओलम्पिक खेलों में पदक जीतने का महिला पहलवान विनेश फोगाट का सपना टूट गया है. महिलाओं के 50 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल से पहले 100 ग्राम वजन ज्यादा होने पर अयोग्य घोषित किए जाने पर विनेश ने खेलों की सबसे बड़ी अदालत कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS), में अपील की थी, जिस पर शुक्रवार 9 अगस्त को सुनवाई हुई, लेकिन कई दिनों के इंतजार के बाद आखिर फैसला आया जो विनेश और हिंदुस्तान के खिलाफ गया.
CAS का फैसला
CAS ने इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (IOC) और वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) के नियमों और फैसलों को बरकरार रखते हुए संयुक्त रूप से सिल्वर मेडल दिए जाने की विनेश की मांग को खारिज कर दिया. CAS ने एक लाइन में अपना फैसला सुनाया और बताया कि विनेश फोगाट की अपील खारिज कर दी गई है. इसके साथ ही, विनेश के रेसलिंग करियर का दुखद अंत भी हो गया.
हालांकि, उनके मेडल को लेकर फैसला करने वाली ज्यूरी के 5 में से 3 मेंबर इस बात से रजामंद थे कि विनेश को सिल्वर मेडल देना चाहिए. यही नहीं, इस मामले को नजीर बताते हुए वजन व्यवस्था में बड़े बदलाव को लेकर भी खेल पंचाट सिफारिशी ड्राफ्ट तैयार कर रहा है, जिसे विश्व कुश्ती संघ को भेजा जाएगा.
तीन सदस्यों का मानना था कि इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए. यानि विनेश को सिल्वर मेडल दिया जाए. वहीं, बाकी दो सदस्यों का मानना था कि एक खिलाड़ी के लिए व्यवस्था में बदलाव का अर्थ होगा कि अन्य खिलाड़ियों को उसके लाभ से वंचित किया गया. इसलिए अभी विनेश को विश्व कुश्ती संघ सिर्फ सांत्वना दे और बदलाव अगले सत्र से लागू किए जाए.
IOA अध्यक्ष ने जताई निराशा
भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की अध्यक्ष डॉ. पीटी उषा CAS के एकमात्र मध्यस्थ द्वारा पहलवान विनेश फोगट के यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग UWW और IOC के खिलाफ आवेदन को खारिज करने के फैसले पर आश्चर्य और निराशा व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि 100 ग्राम की मामूली विसंगति और परिणामी परिणामों का न केवल विनेश के करियर के संदर्भ में गहरा प्रभाव पड़ता है, बल्कि अस्पष्ट नियमों और उनकी व्याख्या के बारे में भी गंभीर सवाल उठते है.
विनेश से जुड़ा मामला उन कठोर और यकीनन, अमानवीय नियमों को उजागर करता है जो एथलीटों, विशेष रूप से महिला एथलीटों के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनावों को ध्यान में रखने में विफल रहते हैं. यह एथलीटों की भलाई को प्राथमिकता देने वाले अधिक न्यायसंगत और उचित मानकों की आवश्यकता की एक स्पष्ट याद दिलाता है. पीटी ऊषा ने कहा कि आगे के कानूनी विकल्पों की खोज कर रहे है.
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