हरियाणा में गठबंधन टूटने के बाद भी सत्ता सुख भोग रहा JJP का ये नेता, हर महीने मिल रही 75 हजार सैलरी

चंडीगढ़ | हरियाणा में BJP- JJP गठबंधन सरकार को अलविदा हुएं 5 महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी भी JJP का नेता सूबे की नायब सैनी सरकार में सत्ता का सुख भोग रहा है. उन्हें सितंबर 2022 में हरियाणा खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया था, जब राज्य में बीजेपी और जजपा गठबंधन सरकार थी.

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सत्ता में रहने तक ही सीमित

बता दें कि बीजेपी से गठबंधन टूटने के बाद भी जजपा नेता राजेंद्र लितानी हरियाणा खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड के चेयरमैन बने हुए हैं. आमतौर पर गठबंधन सरकार में शामिल पार्टी से जुड़े नेताओं को ही बोर्ड और निगमों के अध्यक्ष पदों पर नियुक्त किया जाता है. अध्यक्ष की नियुक्ति 1 साल के लिए होती है, जिसे बढ़ाया जा सकता है, लेकिन आमतौर पर उनका कार्यकाल सत्ता में रहने वाली पार्टी तक ही सीमित होता है.

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हालांकि, प्रदेश सरकार चाहे तो नियुक्ति पत्र में दिए गए कार्यकाल से पहले भी उनका कार्यकाल कम कर सकती है. इसी साल लोकसभा चुनावों से ठीक पहले BJP- JJP गठबंधन टूट गया था. इसके बावजूद, राजेन्द्र लितानी न केवल अपने पद पर बने हुए हैं, बल्कि सैनी सरकार ने उन्हें 15 अगस्त के अवसर पर कुरुक्षेत्र जिले के लाडवा में राष्ट्रीय ध्वज फहराने का काम भी सौंपा.

राजनीतिक परिदृश्य

JJP के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि राजेंद्र लितानी का कार्यकाल पिछले साल सितंबर में समाप्त होना था, लेकिन अभी भी वह वर्तमान पद पर कार्यरत हैं. ऐसे बदले हुए राजनीतिक परिदृश्य में या तो सरकार को उन्हें पद से हटाना होगा या फिर लितानी को खुद इस्तीफा देना होगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इसलिए वह अपना कार्यकाल पूरा करेंगे.

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इन सुविधाओं का मिल रहा लाभ

हरियाणा सरकार द्वारा राजेंद्र लितानी की नियुक्ति के संबंध में जारी अधिसूचना में निर्धारित नियमों और शर्तों के अनुसार, उन्हें वेतन के रूप में हर महीने 75 हजार रूपए वेतन मिल रहा है.वह अपने कार्यभार संभालने की तिथि से मकान किराया भत्ता या वास्तविक किराया के रूप में 50 हजार रूपए हर महीना पाने के हकदार हैं. इसके अलावा, चेयरमैन प्रदेश सरकार के ग्रुप A अधिकारियों को मिलने वाली टेलीफोन सुविधा, यात्रा भत्ता, दैनिक भत्ता और चिकित्सा सुविधाओं के भी हकदार हैं.

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हरियाणा सरकार के अपर मुख्य सचिव को मिलने वाली कार के समकक्ष एक स्टाफ कार ड्राइवर के साथ, उन्हें मुख्यालय पर आधिकारिक यात्रा और बाहर की आधिकारिक यात्रा के लिए भी दी जाएगी. इसके अलावा, उन्हें उनके घर के लिए एक निजी सचिव, एक लिपिक और एक चपरासी भी प्रदान किया जाता है.

राजनीतिक मजबूरी या कुछ और

गठबंधन में न रहने के बावजूद सरकार में जमे रहने का यह मामला कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है. ऐसे में सिर्फ इसे चूक कहें या फिर कोई राजनीतिक मजबूरी या BJP और JJP के बीच कोई अंदरूनी समझौता. इन सभी सवालों के जवाब भविष्य के गर्भ में दफन है.

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