हरियाणा के कर्मचारी बढ़ा सकते हैं BJP की टेंशन; कच्चे कर्मचारी, OPS जैसे मुद्दों पर असमंजस में सरकार

चंडीगढ़ | हरियाणा में कुछ महीने पहले लोकसभा चुनाव संपन्न हुए, जिसमें रूलिंग पार्टी BJP और कांग्रेस दोनों को बराबर- बराबर सीटें मिली. उस समय कर्मचारियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण मानी गई. अबकी बार फिर विधानसभा चुनावों में कर्मचारियों से जुड़े मुद्दे महत्वपूर्ण होने वाले हैं.

BJP

OPS के मुद्दा पड़ा ठंडा

पुरानी पेंशन योजना को लागू करवाने के लिए पिछले काफी समय से कर्मचारी जद्दोजहद कर रहे हैं. पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों के साथ सरकार द्वारा 20 फरवरी को आयोजित हुई बैठक में अधिकारियों द्वारा इस मुद्दे पर समीक्षा के लिए समय की मांग की गई थी. उसके बाद से अब तक यह मामला ठंडा पड़ा हुआ है. सरकार की तरफ से भी अपना रुख स्पष्ट नहीं किया गया है. समिति के राज्य प्रधान विजेंद्र धारीवाल बताते हैं कि कर्मचारियों द्वारा अपनी मांगें पूरे जोर- शोर से उठाई जा रही हैं. आने वाले विधानसभा चुनावों में कर्मचारियों द्वारा सरकार को अपनी ताकत का एहसास करवाया जाएगा. कुल मिलाकर यह मामला भी सरकार के चुनावी मिशन में रोड़ा अटका सकता है.

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असमंजस में कच्चे कर्मचारी

दूसरी तरफ सरकार प्रदेश में कार्यरत 1.20 लाख कच्चे कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति तक नौकरी की गारंटी देने की घोषणा कर चुकी है. यह मुद्दा भी अब सरकार की किरकिरी करवा रहा है. 14 अगस्त को इसकी घोषणा के पश्चात 15 अगस्त को छुट्टी थी और 16 अगस्त को चुनावों की घोषणा के बाद राज्य में आचार संहिता लागू कर दी गई. अब इन 1 लाख से ज्यादा कर्मचारियों का आगामी विधानसभा चुनाव में रुख क्या रहेगा वह भी देखना काफी महत्वपूर्ण रहेगा. इसके अलावा, जो कर्मचारी 50,000 रूपए से ज्यादा वेतन वाले हैं, उन्हें सरकार ने इस गारंटी से दूर रखा है. उनकी भी नाराज़गी राज्य सरकार को इन चुनावों में झेलनी पड़ सकती है.

कर्मचारी संगठन नहीं हैं संतुष्ट

हालांकि, सरकार ने कच्चे कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति तक नौकरी की गारंटी देकर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है, लेकिन कर्मचारी संगठनों में इस बात से संतुष्टि नहीं है. उनका मानना है कि कर्मचारियों को नौकरी की गारंटी नहीं बल्कि पक्का किया जाए. उन्हें पक्के कर्मचारियों की तरह ही वेतन और बाकि सुविधाएं दी जाए. इसलिए आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए सर्व कर्मचारी संघ सहित बाकी संगठन इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में है.

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कांग्रेस भी कर चुकी है ऐलान

बता दें कि दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी यह ऐलान कर चुकी है कि अगर उनकी सरकार बनती है, तो वह पहली कलम से OPS को बहाल कर देंगे. इसके अलावा, इनेलो, जेजेपी और आप पार्टी भी कर्मचारियों को लुभाने की कोशिश में है. वर्तमान में कंप्यूटर ऑपरेटर, क्लर्क, नर्स, डेंटल सर्जन सहित कई श्रेणी के कर्मचारी हड़ताल पर हैं. कच्चे कर्मचारी, सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर, टीजीटी, पीजीटी अध्यापक भी सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. विधानसभा चुनावों की घोषणा हो जाने के बाद से कर्मचारी संगठन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.

चुनावों में पड़ेगा असर

प्रदेश में वर्तमान में 2.70 लाख नियमित कर्मचारी और डेढ़ लाख पेंशनर हैं. कर्मचारियों से जुड़े हुए आश्रितों की संख्या भी लाखों में है. इस प्रकार देखा जाए तो आगामी चुनावों में कर्मचारी वर्ग माहौल बनाने और बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता नजर आएगा. इस विषय में जानकारी देते हुए सुभाष लांबा, प्रधान ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन का कहना है कि पिछले 10 सालों से किसी भी कर्मचारी संगठन की सुनवाई नहीं हुई है. केवल चुनावों में लाभ लेने के लिए सरकार द्वारा झूठी घोषणाएं की जा रही हैं. किसी भी कर्मचारी को इनका कोई लाभ नहीं मिलने वाला. सरकार द्वारा कर्मचारियों की अनदेखी की जा रही है, जिसका परिणाम चुनावों में देखने को मिलेगा.

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सरकार का फैंसला सराहनीय- सुरेश कटारिया

वहीं, सुरेश कटारिया, मीडिया कोऑर्डिनेटर मुख्यमंत्री हरियाणा ने कहा कि कांग्रेस झूठ बोलने के अलावा और कुछ नहीं करती है. OPS को बंद करने का काम भी उन्होंने ही किया था. अब उसी का वह गुणगान कर रही है. सरकार द्वारा 1.20 लाख कच्चे कर्मचारियों को नौकरी की गारंटी देकर सरकार ने सराहनीय फैसला लिया है.

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