करनाल | हरियाणा में विधानसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी है और इसी कड़ी में राजनीतिक सरगर्मी भी शुरू हो चुकी है. तमाम पार्टियां अपना- अपना गणित साधने में लग चुकी है. कौन सी पार्टी किस उम्मीदवार को टिकट देगी, यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है. बात करें अगर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की तो पार्टी के पास सभी 90 विधानसभा सीटों के लिए कुल 2556 आवेदन आए हैं. सबसे अधिक 88 आवेदन नीलोखेड़ी विधानसभा से आए हैं. बता दें कि पिछले चार चुनावों से नीलोखेड़ी एक आरक्षित सीट बनी हुई है.
1967 में हुआ था नीलोखेड़ी का गठन
कांग्रेस की टिकट से यहां चुनाव लड़ने के प्रमुख दावेदारों में से पूर्व विधायक राजकुमार वाल्मीकि, पूर्व विधायक रिशाल सिंह, प्रोफेसर राजेश वैध, रिटायर्ड आईपीएस सत प्रकाश रंगा, राजीव मामूराम गोंदर और जसबीर वाल्मीकि पूर्व विधायक बंताराम वाल्मीकि के बेटे शामिल हैं. साल 1967 में नीलोखेड़ी विधानसभा सीट का गठन हुआ था. इस विषय में जानकारी देते हुए राजनीतिक विशेषज्ञ विनोद मैहला बताते हैं कि राजनीतिक रूप से नीलोखेड़ी शहर काफी महत्व रखता है. तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसे बसाया था.
नेहरू बनाना चाहते थे नीलोखेड़ी को राजधानी
माना जाता है कि 1948 में विभाजन के बाद पाकिस्तान से जो शरणार्थी आए थे, उन्हें रखने के लिए इस शहर को बसाया गया था. यहां पर ज्यादातर हिंदू और सिख पंजाबी समुदाय के लोग रहते हैं. नीलोखेड़ी से पूर्व प्रधानमंत्री का खास लगाव था. एक समय ऐसा था जब वह नीलोखेड़ी को राजधानी बनाना चाहते थे, लेकिन किसी कारण ऐसा संभव नहीं हो पाया.
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