हरियाणा की राजनीति के अंगद, जानिए 6 विधानसभा और एक लोकसभा चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस नेता का राजनीतिक सफर

फरीदाबाद | हरियाणा की राजनीति में कई दिग्गज नेता ऐसे रहे हैं, जिनका राजनीतिक सफर बेहद ही खास रहा है. हम यहां कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता महेंद्र प्रताप सिंह (Congress leader Mahendra Pratap Singh) का जिक्र कर रहे हैं जो 79 साल की आयु में भी हरियाणा की राजनीति में अंगद के पैर की तरह जमे हुए हैं. उनका राजनीतिक जीवन काफी लंबा है और वे 6 बार विधानसभा और एक बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं.

Congress leader Mahendra Pratap Singh

गांव के सरपंच से राजनीति में एंट्री

28 फरवरी 1945 को गांव नवादा कोह में चौधरी नेतराम के घर महेन्द्र प्रताप सिंह ने जन्म लिया था. उनके पिता संयुक्त पंजाब में पहली बार बनी गुरुग्राम जिला परिषद के चेयरमैन निर्वाचित हुए थे. यहीं से उन्होंने राजनीति की एबीसीडी पढ़ना शुरू कर दिया था. 1966 में पहली बार चुनाव लड़ते हुए उन्होंने जीत दर्ज की और गांव के सरपंच प्रतिनिधि बनें. तब उनकी उम्र महज 21 साल थी. इसके बाद, 1972 में उन्होंने पंचायत समिति के चुनावी रण में बाजी मारते हुए राजनीति में जोरदार एंट्री की.

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1977 में पहली बार महेंद्र प्रताप सिंह विधानसभा के चुनावी रण में उतरे थे, लेकिन उन्हें जनता पार्टी के प्रत्याशी गजराज बहादुर नागर के हाथों हार झेलनी पड़ी. 1982 में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी मेवला महाराजपुर विधानसभा सीट से उन्होंने फिर चुनाव लड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी गजराज बहादुर नागर को हराकर न केवल अपनी हार का बदला लिया बल्कि पहली बार जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे.

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देवीलाल की लहर में भी जीता चुनाव

1987 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें मेवला महाराजपुर सीट से प्रत्याशी घोषित किया. उस समय देश- प्रदेश में पूर्व उपप्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी देवीलाल की जबरदस्त लहर थी और हरियाणा में लोकदल और बीजेपी गठबंधन ने देवीलाल के नेतृत्व में प्रदेश की 90 में से 85 सीटों पर जीत दर्ज की थीं लेकिन उस आंधी में भी महेंद्र प्रताप सिंह न केवल चुनाव जीते, बल्कि विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता बनें.

पहली बार बने मंत्री

1991 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की टिकट पर लड़ते हुए उन्होंने हरियाणा विकास पार्टी और जनता दल गठबंधन के प्रत्याशी गजराज बहादुर नागर को फिर से पटखनी दी. तब प्रदेश में चौधरी भजनलाल के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी थी और महेन्द्र प्रताप सिंह खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री बने. 2005 में भी उन्होंने मेवला महाराजपुर विधानसभा सीट से 63 हजार वोटों से विजय हासिल की थी.

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2009 में परिसीमन होने से बड़खल विधानसभा क्षेत्र अलग से अस्तित्व में आ गया. कांग्रेस पार्टी की ओर से इस सीट से लड़ते हुए उन्होंने फिर जीत दर्ज की ओर तत्कालीन भुपेंद्र हुड्डा सरकार में बिजली मंत्री बने. इसी साल हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें फरीदाबाद से प्रत्याशी बनाया था, लेकिन BJP उम्मीदवार कृष्ण पाल गुर्जर के हाथों हार का सामना करना पड़ा.

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