हरियाणा में बासमती धान के भाव में 1 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक गिरावट, सामने आई ये बड़ी वजह

करनाल | हरियाणा में धान उत्पादक किसानों ने कम भाव मिलने पर नाराजगी जाहिर की है. बासमती (Basmati Rice) की किस्म 1509 और पूसा- 1 का धान किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है और उन्हें प्रति क्विंटल 800 से 1200 रूपए प्रति क्विंटल तक का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है.

basmati chawal rice

वहीं, चावल निर्यातकों में भी भाव कम होने से निराशा का माहौल है क्योंकि बासमती चावल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MEP) लागू होने और उसका रेट 950 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन (FOB) होने के कारण इन किस्मों का अपेक्षित निर्यात नहीं हो पा रहा है. इसको लेकर हरियाणा राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन ने केंद्रीय उर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखा है, जिसमें MEP को हटाने या घटाने की मांग की है.

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पिछले साल हरियाणा ही नहीं देशभर के चावल निर्यातकों ने कई दिन तक हड़ताल की थी, तब जाकर केंद्र सरकार ने FOB को घटाकर 950 रुपये कर दिया था. इसके बाद, निर्यात शुरू हो गया था. अब इस साल फिर इसका प्रभाव दिखने लगा है.

FOB के चलते भाव में गिरावट

मंडियों में पिछले महीने से ही 1509 किस्म की आवक शुरू हो चुकी है, लेकिन अब इसी किस्म के नए धान की आवक शुरू हो चुकी है. मंडियों में किसानों को 2,200- 2,600 रूपए प्रति क्विंटल तक भाव मिल रहा है, जबकि पिछले साल इस किस्म का 3,200- 3,800 रूपए प्रति क्विंटल तक भाव मिला था. यानि भाव में 25 से 30% की गिरावट दर्ज हो रही है. इसका सीधा नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है. वहीं, निर्यात अपेक्षित नहीं हो पाने के कारण निर्यातकों में निराशा का माहौल बना हुआ है और उन्होंने भाव में गिरावट की वजह FOB ज्यादा होना बताया है.

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वहीं, चावल निर्यातक और मिल मालिक इस धान को खरीदने से हाथ पीछे खींच रहे हैं, क्योंकि उनके अनुसार इस धान से बना चावल अधिक MEP की वजह से निर्यात नहीं किया जा सकता है. इससे किसानों के साथ- साथ निर्यातक और चावल कारोबारियों में चिंता का माहौल बना हुआ है.

MEP को हटाने या कम करने की मांग

हरियाणा राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन के प्रधान सुशील जैन ने बताया कि पाकिस्तान में FOB 700 अमेरिकी डालर प्रति मीट्रिक टन है, जबकि भारत में 950 है. इसके चलते भारत के मुकाबले पाकिस्तान का चावल निर्यात रफ्तार पकड़ रहा है. उन्होंने मनोहर लाल खट्टर को लिखे पत्र में कहा है कि इस बात पर विचार किया जाना चाहिए कि निर्यात बाजार, अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के साथ संबंध और विदेशों में बासमती चावल के लिए प्रतिष्ठा/ सद्भावना जो हमारे चावल उद्योग ने कई सालों में विकसित की थी, वह सब खो जाएगी. ऐसे में MEP को हटाया या कम किया जाना चाहिए.

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सुशील जैन ने कहा कि भारत में भी FOB को हटा दिया जाए. यदि आवश्यक है, तो 700 या 750 किया जाए और MEP को भी खत्म किया जाना चाहिए. इसे पिछले साल ही लगाया गया है, ये पहले कभी नहीं थी. यदि ऐसा होता है, तो विदेशी मुद्रा आय भी बढ़ेगी और धान उत्पादक किसानों को भी उंचा भाव मिल सकेगा.

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