रेवाड़ी की धरती पर पहुंची रूस की लाखों गुलाबी मैना, जानिए भारत आकर क्यों बढ़ जाती है इनकी सुंदरता

रेवाड़ी । रेवाड़ी की धरा इन दिनों रूस के आए मेहमानों से गुलजार है. लाखों की तादाद में गुलाबी मैनाओ ने शहर में ही अनाज मंडी व इसके आसपास के इलाकों में डेरा डाला हुआ है. उनको देखकर ऐसा लगता है कि जैसे आकाश  उनके पंख के तले छिप गया हैं. शहरवासियों के लिए रूसी मेहमान आकर्षण का केंद्र बने हुए है.

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रेवाड़ी में आए रूसी मेहमान, बने आकर्षण का केंद्र 

बता दें कि रूस की रोजी स्टार्लिंग को भारत में गुलाबी मैना अथवा तिलयार के नाम से जाना जाता है. गुलाबी मैना प्रवासी पक्षी है. यह 6 से 8 महीने तक भारत में ही रहती है. प्रवास के दौरान मैदान व जंगली क्षेत्र में इनका ठिकाना होता है. बता दें कि यह रूस के अलावा मुख्य तौर पर कजाकिस्तान मे भी पाई जाती है. जैसे जैसे इन देशों में सर्दी बढ़ने लगती है, यह भारत में प्रवास करने के लिए उड़ान भर देते हैं. भारत में गुलाबी मैना जुलाई-अगस्त में आ जाती है. करीबन 6 से 7 महीने घास के मैदानों या जंगली क्षेत्रों व खेतों के आसपास,  पेड़ों पर इनका झुंड प्रवास करता है.

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लौटते समय यह बहुत सुंदर हो जाती है

बता दे कि गुलाबी मैना का सिर, छाती व पूछ काले रंग की होती है. जिस पर नीले व बैंगनी रंग की चमक होती है. इसका पिछला हिस्सा, छाती के नीचे का हिस्सा व पेट का रंग पीला गुलाबी होता है. वही इसकी चोंच पीली तथा पंजे चमकीले गुलाबी रंग तथा आंख की पुतली भूरे रंग की होती है. भारत से लौटते समय यह बेहद सुंदर हो जाती है, क्योंकि उसके प्रजनन का समय नजदीक होता है. दक्षिणी हरियाणा  बेल्ट प्रवासी पक्षियों का प्रमुख केंद्र बनने लगा है. झज्जर की भंडावास झील, गुरुग्राम की सुल्तानपुर झील के साथ रेवाड़ी के मसानी बैराज मे बनाई गई कृत्रिम झील के आसपास हर साल कई देशों से प्रवासी पक्षी आते हैं और वहीं पर अपना बसेरा बना लेते है.

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